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मनु का क़ानून और हिंदू राष्ट्र के नागरिकों के लिए उसके मायने

-द वायर, हाल ही में चेन्नई में भाजपा ने अपनी नई नेता खुशबू के नेतृत्व में तमिलनाडु के सांसद थिरुमावलवन द्वारा मनुस्मृति के बारे में की गई टिप्पणियों के विरोध में प्रदर्शन किया गया था. यह शायद भाजपा द्वारा मनुस्मृति के समर्थन में पहला सार्वजनिक प्रदर्शन था. ऐसा लगता है कि संघ परिवार अब खुलकर इस पुरातन ग्रंथ के पक्ष मे हमलावर रुख अपनाकर सामने आना वाला है. दरअसल, 5 अगस्त 2019...

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यूएनईपी-आईएलआरआई रिपोर्ट: जूनोटिक रोगों के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए मानवीय गतिविधियों पर निगरानी जरूरी

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और इंटरनेशनल लाइवस्टोक रिसर्च इंस्टीट्यूट (ILRI) द्वारा 6 जुलाई (इस वर्ष विश्व भर में अनुसंधान संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा वर्ल्ड जूनोसेस डे के रूप में मनाया गया) को जारी की गई एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि मनुष्यों में 60 प्रतिशत ज्ञात संक्रामक रोगों की उत्पत्ति कहीं न कहीं एक जानवर से संबंधित रही है. इसी तरह, सभी नए और उभरते संक्रामक...

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मट्टो की साइकिल: ज़िंदगी के लॉकडाउन में फंसे मज़दूर की कहानी

-बीबीसी, एक साइकिल. कहीं डंडे वाली तो कहीं बिना डंडे वाली. एक घंटी, कैरियर और सुंदर सी टोकरी लगी साइकिल... हो सकता है आपका बचपन इसकी सवारी के साथ बीता हो. और बहुत मुमकिन है कि अब आपने ख़ुद को मोटरगाड़ी या बाइक तक अपग्रेड कर लिया हो और साइकिल से आपका शायद ही वास्ता पड़ता हो. पर लॉकडाउन के दौरान बिहार की 15 बरस की एक लड़की ज्योति साधारण-सी साइकिल चलाकर 1200...

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मुद्दों को मुंह चिढ़ाते नतीजे

-आउटलुक, बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों पर हमें आश्चर्य होना चाहिए। इसलिए नहीं कि एग्जिट पोल के नतीजे देखकर हमने कुछ और उम्मीदें पाल ली थीं, इसलिए नहीं कि मीडिया में आने वाली ग्राउंड रिपोर्ट सत्तारूढ़ गठबंधन की विदाई का संकेत दे रही थीं, इसलिए नहीं कि नतीजे हमारी आशा के अनुरूप नहीं थे। हमें राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन की एक और विजय पर आश्चर्य इसलिए होना चाहिए चूंकि यह नतीजा इतिहास के इस...

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महामारी के दौर में बहुआयामी गरीबी के चक्र में फंसे लोग, 3 से 10 साल तक पिछड़ सकते हैं विकासशील देश!

बहुआयामी गरीबी मौद्रिक यानी पैसे आधारित गरीबी नहीं है बल्कि यह गैर-मौद्रिक आधारित गरीबी है, जो सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की चुनौतियों से दृढ़ता से जुड़ी है. हालाँकि पहले गरीबी को केवल मौद्रिक यानी धन आधारित गरीबी के संदर्भ में ही परिभाषित किया गया था, लेकिन अब गरीबी को लोगों के अनुभवों की जीवंत वास्तविकता और उनके द्वारा भोगे जाने वाले अनेकों अभावों से जोड़कर देखा जाता...

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