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‘पोस्ट कोरोना वर्ल्ड’ की मार्च-अप्रैल कालीन परिकल्पनाओं का जुलाई आते-आते शीराज़ा बिखरने लगा है

-लोकवाणी, बीते मार्च महीने में, जब कोरोना संकट दुनिया के लगभग तमाम देशों को अपनी चपेट में ले चुका था, एक बहस चलनी शुरू हुई थी कि ‘पोस्ट कोविड-19 वर्ल्ड’ का स्वरूप कैसा होगा। हालांकि, अब जब…जुलाई आधा बीतते दुनिया के कई देशों में संकट इतना गहरा चुका है कि भविष्य की रूपरेखा धुंधली लगने लगी है, वर्त्तमान से जूझने में ही इतनी ऊर्जा का व्यय हो रहा है कि आम लोग...

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शुभ संकेत नहीं है कोरोना के 10 लाख मामले और लॉकडाउन की वापसी

-न्यूजक्लिक, देश में कोरोना संक्रमण को लेकर लड़ाई एक कठिन दौर में पहुंच गई है। राज्य सरकारों के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश में कोविड-19 के मामलों की संख्या बृहस्पतिवार को दस लाख के पार चली गयी, वहीं संक्रमण से अब तक 25 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। दुनियाभर में संक्रमण के मामलों की संख्या के लिहाज से भारत का स्थान अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरा...

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कोरोना वायरस: उत्तर प्रदेश में 55 घंटे के 'लॉकडाउन' के क्या हैं मायने, क्या बंद और क्या खुला रहेगा?

-बीबीसी, भारत में सबसे अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आरके तिवारी का कहना है कि शुक्रवार की रात से सोमवार सुबह तक प्रदेश में लागू किए जाने वाला प्रतिबंध 'लॉकडाउन' नहीं है. उनके अनुसार ये 'सिर्फ़ रेस्ट्रिक्शन' हैं या यूँ कहा जाये कि एहतियात के तौर पर उठाया गया क़दम हैं, जिससे ना सिर्फ़ कोरोना वायरस, बल्कि डेंगू, कालाज़ार, इन्सेफ़ेलाइटिस और मलेरिया जैसे रोगों के संक्रमण को फैलने से...

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फैक्ट चैक : कोरोनावायरस लॉकडाउन में मोदी सरकार के दस बड़े झूठ

-कारवां, 24 मार्च को जब केंद्र सरकार ने नोवेल कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की तो सरकार के प्रतिनिधियों और मंत्रियों ने अपनी राजनीति को सही ठहराने और आलोचना से पल्ला छुड़ाने के लिए जनता के बीच लगातार आधी-अधूरी और झूठी बातें प्रचारित की. अधिकारियों ने जो दावे किए उनमें से कई जमीनी रिपोर्टों से मेल नहीं खाते. देश के कई हिस्सों में भूख और भुखमरी...

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कोरोना से निपटने के लिए सरकार ने ईमानदार कोशिश नहीं की

-द वायर, दो महीने के कड़े लॉकडाउन के बावजूद भी आज कोरोना वायरस संक्रमण का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. लॉकडाउन के दौरान सरकार ने चिकित्सा व्यवस्था में सुधार के कोई प्रयास नहीं किए. इसका नतीजा है कि हर तीन में से दो जिलों के पास आज भी कोरोना जांच का इंतजाम नहीं है. राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में भी लोग बेड के अभाव में मर रहे हैं. मजदूरों को अमानवीय क्वारंटीन...

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