कहानी बिहार के पहले वाइ फाइ गांव बेलदारीचक की पुष्यमित्र बेलदारीचक (पटना) pushyamitra@prabhatkhabar.in जैसे ही इस संवाददाता ने तसवीर ली विनोद कुमार दौड़े-दौड़े आये. उनकी सहज जिज्ञासा थी कि उनकी दुकान की तसवीर क्यों ली जा रही है. जब उन्हें बताया गया कि उनकी दुकान की तसवीर नहीं बल्कि दुकान के पीछे लगे बीएसएनएल के टावर की तसवीर ली गयी है, जिसमें वाइ-फाइ वाली मशीन लगी है. यह सुनकर ठीक-ठाक पढ़े लिखे...
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…ताकि आचमन योग्य बन सके हरियाणा में यमुना का पानी
सजला और पुण्य सलिला कही जाने वाली यमुना की दुर्दशा दिल्ली के बाद सबसे अधिक हरियाणा में ही हुई है। यमुनानगर से ही यमुना मैली होना शुरू होती है और पानीपत पहुंचते-पहुंचते इसका पानी पशुओं के पीने लायक भी नहीं रहता। यमुना को शुद्ध करने के प्रयास हुए, लेकिन ये कागजों में दबे रहे। अब नये सिरे से प्रदेश सरकार यमुना को मैला होने से रोकने का प्रयास कर रही...
More »बुंदेलखंड: न चारा, न पानी, जानवर बेच रहे हैं किसान
सूखे से झुलस रहे बुंदेलखंड में स्थितियां और भयावह हो चली हैं। हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दो वक्त की रोटी के लिए ग्रामीण अपने पशु बेच रहे हैं। पशुओं के खरीदार नहीं मिल रहे हैं, चारे पानी का जबरदस्त संकट है लिहाजा पशुपालक भारी मन से औने-पौने दामों में इनसे पीछा छुड़ा रहे हैं। कई गांव ऐसे भी हैं जहां के लोगों ने अपने...
More »किसानों के अनुभव : समाज को निबटना होगा सूखे से, सरकार के भरोसे नहीं
लगातार दो कमजोर मॉनसून और लापरवाह जल-प्रबंधन के कारण देश में सूखे का संकट उत्तरोत्तर गंभीर होता जा रहा है. देश की करीब आधी आबादी सूखा और जल-संकट की चपेट में है. कई इलाकों में तो दो साल से अधिक समय से यह स्थिति व्याप्त है. अत्यंत गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. सरकारी तंत्र इस विपदा से निबटने में न सिर्फ...
More »इंद्र भरोसे खेती, पर कब तक--- बिभाष
हरित क्रांति के मसीहा डॉ नॉर्मन बोरलॉग ने साठ के दशक में बौनी प्रजाति के अधिक उपज वाले गेहूं की ईजाद की. सभी देशों की तरह भारत में भी उस गेहूं की खेती शुरू की गयी. बौनी प्रजाति के गेहूं ने उस वक्त की राजनीति गढ़ने का भी काम किया, जिस पर बहस और शोध होना चाहिए. देखते-देखते गेहूं की उपज दूनी हो गयी. सन् 1959-60 में जो गेहूं...
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