वाशिंगटन। दुनिया भर की बेहतरीन प्रतिभाएं अमीरों की समस्याओं को सुलझाने में उलझी हैं। प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा ने कहा कि इसी वजह से गरीब तबके की ओर पूरा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, 'हमने दुनिया भर में एक ऐसा समाज बना लिया है, जो सिर्फ अमीरों को फायदा पहुंचाने में लगा है। इसलिए उस वर्ग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा, जिन्हें वास्तव में इसकी जरूरत...
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बाल विवाह की समाजिक बुराई पर युवाओं की एक पहल- रेणुका पामेचा
ममता 17 साल की है। वह अन्य लड़कियों के साथ पिता के साथ रहती है परंतु अपने पिता से उसका रिश्ता काफी कठिन दौर में है क्योंकि ममता ने अपने बाल विवाह को रुकवाने के लिए दो बार पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। 13 मई 2013 को होने वाली शादी भी रुकवाई। ममता ने आगे पढ़ाई जारी रखने का पक्का इरादा बना रखा है। वह पिता के दबाव में नहीं...
More »कितना कम जानते हैं हमारे सांसद
समाज के विभिन्न तबकों के लिए भोजन के अधिकार को लेकर काम कर रहे हम जैसे पंद्रह युवाओं का एक समूह पिछले हफ्ते कुछ सांसदों से मिला। इसकी वजह थी, संशोधित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक पर उनसे चर्चा करना और इसे बेहतर बनाने का प्रयास करना। हमने तकरीबन सौ से अधिक सांसदों का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उनमें से महज 20 सांसदों से ही मुलाकात हो सकी। कई सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों...
More »जाति की जटिलताएं- योगेश अटल
जनसत्ता 19 अप्रैल, 2013: पिछले कुछ दिनोंसे यात्रा पर हूं और जिस शहर में गया वहां उत्सुकतापूर्वक मैंने हिंदी के अखबार पढेÞ, ताकि जान सकूं कि उनमें किस तरह की खबरें छपती हैं। किसी भी दिन कोई ऐसा अखबार नहीं मिला, जिसमें जाति के विषय में खबर न छपी हो। जाति का सम्मलेन, जाति की प्रतिभाओं का सम्मान, जाति के किसी समारोह में प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति, जबकि...
More »सुधारों की दिशा और आम आदमी( पू्र्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के जन्मदिवस पर प्रभात खबर की विशेष प्र?
भारत में आर्थिक सुधारों को लागू किये जाने के 22 वर्ष बाद भी इस पर मंथन का दौर जारी है. पिछले दो दशकों के अनुभव हमें बता रहे हैं कि आर्थिक उदारीकरण के पैरोकारों ने जिस स्वर्णिम भविष्य का हमसे वादा किया था, वह सच्चाई से दूर, छल से भरा हुआ और भ्रामक था. इन वर्षों में आर्थिक उदारीकरण विकास के चमचमाते आंकड़ों पर सवार होकर हम तक जरूर आया,...
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