पटना: राज्य में अब वैज्ञानिक तरीके से बालू घाटों की नीलामी होगी. ठेका लेने के पहले ठेकेदारों को पुलिस थानों से चरित्र प्रमाणपत्र लेकर खान विभाग से निबंधन कराना होगा. ये प्रावधान नयी बालू नीति में किये गये हैं, जिसे राज्य मंत्रिमंडल ने मंगलवार को मंजूरी दी. सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशानुसार बनायी गयी इस नीति में राजस्व में वृद्धि के साथ ही पर्यावरण सुरक्षा को भी प्राथमिकता दी गयी है. बिहार लघु...
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लोहा नहीं अनाज चाहिए- विनोद कुमार
जनसत्ता 20 अगस्त, 2013 : झारखंड बनने के बाद प्रभु वर्ग ने इस बात को काफी जोर-शोर से प्रचारित-प्रसारित किया है कि झारखंड का विकास और झारखंडी जनता का कल्याण उद्योगों से ही हो सकता है और खनिज संपदा से भरपूर झारखंड में इसकी अपार संभावनाएं हैं। यह प्रचार कुछ इस अंदाज में किया जाता है मानो झारखंड में पहली बार औद्योगीकरण होने जा रहा है। हकीकत यह है कि...
More »सबकी धरती, सबका हक- प्रियंका दुबे
लापोड़िया और रामगढ़ की कहानी देश में चौतरफा फैले जल संकट का समाधान तो सुझाती ही है, लेकिन उससे भी बढ़कर सामाजिक समानता की नींव पर बने एक प्रगतिशील समाज का सपना भी साकार करती है. रिपोर्ट और फोटो: प्रियंका दुबे ऐसे समय में जब पानी की किल्लत दिल्ली-मुंबई से लेकर जयपुर तक सैकड़ों भारतीय शहरों को सूखे नलों के मकड़जाल और अनंत प्रतीक्षा के रेगिस्तान में तब्दील कर रही है,...
More »गवर्नेस की हिलती बुनियाद- अजय सिंह
आजादी के ठीक बाद लगभग 400 आइसीएस अधिकारियों की जमात देशभर में थी. राजनीतिक तबके में इन अफसरों के खिलाफ जबरदस्त रोष था. परंतु संविधान की कुछ धाराओं की वजह से उन पर कार्रवाई नहीं हो सकती थी. सरदार पटेल ने इन अधिकारियों को सुरक्षा और सम्मान की गारंटी दी थी. अनंतसायनाम अयंगर, जो बाद में लोकसभा स्पीकर भी बने, ने पटेल के आश्वासन पर अपनी असहमति जतायी. वजह साफ...
More »नियमगिरि के हकदार- कमल नयन चौबे
जनसत्ता 2 अगस्त, 2013: नियमगिरि में खनन की इजाजत देने की बाबत सर्वोच्च न्यायालय ने अठारह अप्रैल को दिए अपने फैसले में ग्रामसभा की मंजूरी लेने का आदेश दिया था। इस फैसले और इसके बाद के घटनाक्रम ने जल, जंगल, जमीन पर स्थानीय समुदायों के हक की लड़ाई के कई विरोधाभासों और उपलब्धियों को उजागर किया है। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की मनमानी व्याख्या करते हुए ओड़िशा...
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