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आरटीआइ की कुंद होती धार- चंदन श्रीवास्तव

सूचना के अधिकार को कानून बनानेवाले विधेयक पर राष्ट्रपति के दस्तखत 2005 में 15 जून को हुए थे, पर राज्यसभा ने इसे मंजूरी 12 मई को दे दी थी. चूंकि कानून इस मई महीने में अपने मौजूदा स्वरूप का दसवां साल पूरा कर रहा है, तो पूछा जाना चाहिए कि लोगों के हाथ इस कानून से कितने मजबूत हुए. इस कानून के अमल को लेकर मौजूदा केंद्र सरकार की गंभीरता का...

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भूकंप के खतरे पर अब तो संभल जाएं - डॉ. पृथ्‍वीश नाग

अनवरत चलने वाली प्राकृतिक सामंजस्य की एक प्रक्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न् भयावह और विनाशकारी भूकंप पर पूर्ण नियंत्रण असंभव है। बचाव के उपाय ही हमारे पास एकमात्र विकल्प हैं। पिछली सदी के दौरान भारत तथा आसपास के देशों से जुड़े क्षेत्रों में 5.0 गहनता के भूकंपों की एक पूरी श्र्ाृंखला बताती है कि भारत, नेपाल और यह पूरा इलाका भूकंपीय क्षेत्र है। नेपाल में आए बड़े भूकंप के जबर्दस्त कंपन...

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सफाई कामगारों के लिए भी खुला योजनाओं का पिटारा

बिलासपुर (निप्र)। श्रमिकों की तर्ज पर अब सफाई कामगारों के लिए भी सरकार ने अलग से योजना बनाई है। इसके लिए कलेक्टर को जिले के लिए 34 लाख रुपए का आवंटन भी कर दिया गया है। इन योजनाओं का संचालन नगरीय निकाय और ग्राम पंचायत के माध्यम से होगा। फंड भी अलग से होगा। नगर निगम सहित जिले के नगरीय निकायों में नियमित सफाई कर्मचारियों की स्थिति तो कमोबेश अच्छी है।...

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रीयल एस्टेट क्षेत्र को चाहिए आठ करोड़ कुशल कामगार

नई दिल्ली। देश के रीयल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 2022 तक करीब आठ करोड़ कुशल कामगारों की जरूरत पड़ेगी। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट कहती है कि भारत में बिल्डिंग, कंस्ट्रक्शन और रीयल एस्टेट सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। एनएसडीसी ने जिन 24 सेक्टरों का अध्ययन किया है, उनमें इस सेक्टर में 2013-2022 के बीच मानव संसाधन की अधिकतम आवश्यकता...

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सरकार नहीं, समाज गढ़ता है श्रेष्ठ संस्थान- हरिवंश

अमेरिका के जितने भी महान विश्वविद्यालय हैं, उन्हें बनाने के लिए बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी. एक झटके में करोड़ों डॉलर का दान कर दिया. क्या भारत में पैसेवालों की कमी है? नहीं. फिर क्यों यहां ऐसे संस्थान नहीं खड़े होते? क्यों हम लोग हर चीज के लिए सरकार का मुंह देखते रहते हैं. सरकार अपना काम करे, यह जरूरी है. पर समाज और लोगों की...

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