SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 3291

पुलिस का सबसे मुश्किल इम्तिहान- विभूति नारायण राय

वर्ष 1977 की शुरुआत। देश में सनसनी और उत्तेजना की बयार बह रही थी। किसी बडे़ अंधड़ की तरह आपातकाल देश को झिझोड़ता-झकझोरता गुजर चुका था और हम सभी विनाश की दृश्य और अदृश्य स्मृतियों को बुहारने में लगे थे। इसी समय देश का वह चुनाव हुआ, जिसने भारतीय समाज और राजनीति का परिदृश्य लंबे समय के लिए बदल दिया। यह वर्ष मेरे अनुभव संसार में भी बहुत कुछ जोड़ने...

More »

अगर आप समाचारों के ऑनलाइन पाठक हैं तो ये न्यूज एलर्ट जरुर पढ़ें!

भारत में समाचारों के आस्वाद की दुनिया तेजी से बदली है : लोगों का समाचारों पर से विश्वास घटा है और समाचार के पाठकों की दुनिया की एक बड़ी तादाद को आशंका सताती है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपने राजनीतिक विचारों का इजहार किया तो उन्हें अधिकारी-वर्ग से परेशानी उठानी पड़ेगी.   अंग्रेजी भाषी पाठकों के बीच किये गये एक सर्वेक्षण के मुताबिक टेलिविजन, अखबार या फिर रेडियो नहीं बल्कि समाचार हासिल करने...

More »

कम नहीं चुनाव आयोग की शक्तियां- नवीन चावला

भारत में जाति पर बहस राजनीतिक परिणामों की एक निर्धारक है। यह वर्ष 2019 के आम चुनाव सहित भारत में तमाम चुनावों की एक रोचक विशिष्टता है। यह ऐसी निर्धारक है कि मतदाताओं के बीच अति लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चुनाव अभियान में अपनी जातिगत पहचान बतानी पड़ती है। उत्तर और केंद्रीय भारत की ज्यादातर क्षेत्रीय पार्टियों को किसी जाति या बिरादरी विशेष के लिए पहचाना जाता है।...

More »

नोटबंदी के दौरान लाई गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के पैसे का क्या हुआ, सरकार को नहीं पता

नई दिल्ली: सोचिए. अगर भारत में गरीब न होते तो क्या होता? कुछ होता या न होता लेकिन इतना तो तय था कि हमारी राजनीति काफी नीरस हो जाती. ये गरीब ही हैं, जिनकी वजह से भारत की राजनीति इतनी दिलचस्प बनी हुई है. चाहे वो इंदिरा गांधी का गरीबी हटाओ का नारा हो या मनमोहन सिंह का मनरेगा हो या फिर नरेंद्र मोदी द्वारा शुरु की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण...

More »

वनबंधु कल्याण योजना: 100 करोड़ का बजट घटा कर एक करोड़ किया गया, ख़र्च नहीं हो रही राशि

नई दिल्ली: तारीख पे तारीख. ये अकेला डायलॉग भारतीय न्यायिक व्यवस्था की कहानी बता देता है. ठीक इसी तरह का एक शब्द भारतीय शासन व्यवस्था में काफी प्रचलित है. इस शब्द का नाम है ‘योजना'. सरकारें सोचती हैं कि योजना बना दो, विकास हो जाएगा. योजनाएं बनती हैं, पैसा आवंटित होता है और फिर उसके बाद योजनाओं को स्थानीय अधिकारियों के भरोसे क्रियान्वयन के लिए छोड़ दिया जाता है. पिछले 70 सालों...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close