जनसत्ता 11 अक्तूबर, 2013 : कई गंभीर घटनाएं हो रही हैं, लेकिन लोगों का मानस इस तरह का बना दिया गया है कि वे किसी विषय के इतिहास को लेकर तो बोलते हैं, उसके मौजूदा हालात पर कुछ सुनने को तैयार नहीं होते। कई बार लगता है कि सुनने की शारीरिक प्रक्रिया को भी एक खास तरह के ढांचे में ढाल देने में बाजारवादी विचारों को कामयाबी मिली है। तात्कालिक संदर्भ...
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रेशम उत्पादन से जुड़े श्रमिकों को मिलेगा मनरेगा का लाभ
बढ़ा कदम टेक्सटाइल क्षेत्र से जुड़ी टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड स्कीम भी अधिसूचित स्कीम अधिसूचित होने से सेक्टर को ब्याज दरों में मिलेगी ६ फीसदी की छूट टेक्सटाइल क्षेत्र के श्रमिकों को मनरेगा के तहत प्रशिक्षण देने के मामले में कपड़ा मंत्रालय ने पहली सफलता हासिल कर ली है। ग्रामीण विकास मंत्रालय रेशम उत्पादन करने वालों को मनरेगा का लाभ देने के लिए तैयार हो...
More »1.37 करोड़ गरीबों को दुर्गा पूजा में राशन नहीं
पटना: पटना जिले के फतुहा प्रखंड के अलावलपुर गांव के राजेंद्र दास को जून के बाद का राशन नहीं मिला है. राजेंद्र दास जैसे लाखों परिवारों को पिछले दो माह से राशन नहीं मिल सका है. राज्य के 1.37 करोड़ गरीबों की दुर्गापूजा राशन के बगैर मनेगी. जनवितरण प्रणाली (पीडीएस) की दुकानों से अधिकतर जिलों में सितंबर का भी राशन नहीं बंटा है. कई जिलों में तो जुलाई व अगस्त का भी राशन...
More »तभी अपराध मुक्त होगी राजनीति- नृपेन्द्र मिश्र
राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ जारी अभियान अपने निर्णायक मोड़ पर है, लेकिन इसे अभी खत्म नहीं माना जा सकता। तब तो और नहीं, जब हमारे संसदीय लोकतंत्र की नैतिकता में लगातार गिरावट की चिंता स्पष्ट है और इस पर सार्वजनिक तौर पर चर्चा भी हो रही है। इस दिशा में सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला 10 जुलाई, 2013 को आया, जिसमें देश की सबसे बड़ी अदालत ने जन प्रतिनिधित्व...
More »‘हिंसा-अहिंसा की बहस अब बेमानी हो गई है’
अपनी नई डॉक्युमेंटरी फिल्म में फिल्मकार संजय काक भारत के भीतरी राज्यों छत्तीसगढ़, उड़ीसा और पंजाब के सफर पर ले चलते हैं, जहां क्रांति का सपना पल रहा है. अंग्रेजी में ‘रेड ऐंट ड्रीम’ और हिंदी में ‘माटी के लाल’ नाम से बनी यह फिल्म उन संघर्षों को पेश करती है जिनसे भारत में क्रांति की संभावनाएं जुड़ी हुई हैं. इसमें बस्तर में भारतीय राज्य के विरुद्ध संघर्षरत हथियारबंद आदिवासी,...
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