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मगनपुर की महिलाएं सूत कात कर हुईं आत्मनिर्भर- सुरेन्द्र / सुरेश

आज ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं पुरुषों से किसी भी तरह कम नहीं हैं. वे गांव में भी विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सशक्त पहचान बना रही हैं. गांधी जी के सपनों के अनुरूप वे बुनकरी का काम कर रही हैं. ग्रामीण महिलाओं में हुनर की किसी तरह की कमी नहीं है.  अपने इस हुनर के बदौलत सूत कात कर महिलाएं अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं. जिससे वे अपने परिवार का...

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भारत में विश्व की 54 सबसे बडी और शक्तिशाली कंपनियां हैं

न्यूयार्क: मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्टरीज उन 54 भारतीय कंपनियों में अव्वल नंबर पर हैं जिन्होंने फोर्ब्स की 2000 सबसे बडी और शक्तिशाली कंपनियों की सालाना सूची में जगह बनाई है. साथ ही चीन की तीन कंपनियों ने इस सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है. फोर्ब्स की ‘वैश्विक 2000’ सूची में आय, मुनाफे, परिसंपत्ति और बाजार मूल्यांकन के आधार पर आंकी गई विश्व की सबसे बडी और सबसे शक्तिशाली कंपनियों...

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नई ईस्ट इंडिया कंपनी के दौर में- गौतम घोष

जल्दी ही हम नई सरकार चुन लेंगे और देश का अगला प्रधानमंत्री भी। धूमधाम से मतदान का लोकतांत्रिक पर्व निपट जाएगा। आजादी के 67 वर्षों बाद भी हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं। यह गर्व की बात है। पर आज हमारे सामने चुनौतियां कम नहीं हैं। हम देशवासियों के सामने प्रश्न खड़ा है कि सिर्फ सांविधानिक अधिकारों के प्राप्त हो जाने से ही हमारा संविधान और लोकतंत्र सफल मान लिया...

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जैविक खेती का रकबा भारत में घटा, दुनिया में बढ़ा

पूरी दुनिया में जैविक खेती का रकबा बढ़ रहा है लेकिन भारत में जैविक खेती के रकबे में कमी आई  है।इस बात का खुलासा द वर्ल्ड ऑफ आर्गेनिक एग्रीकल्चर- स्टैटिक्स एंड इमर्जिंग ट्रेन्ड्स नामक नई रिपोर्ट में किया गया है। (देखें नीचे दी गई लिंक)   रिपोर्ट के अनुसार साल 2011 से 2012 के बीच भारत में जैविक खेती के रकबे में तकरीबन 5.84 लाख हैक्टेयर(तकरीबन 54 प्रतिशत) की कमी आई है और जैविक खेती के रकबे के मामले में भारत...

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मुद्दे ही प्रतीक बन गए- दीपांकर गुप्ता

चुनावी विमर्शों में 'व्यक्तित्व बनाम मुद्दे' की बहस होती रही है। मगर चुनाव व्यक्तित्व के आधार पर लड़ा जाना चाहिए, या मुद्दों के आधार पर, यह सवाल ज्यों का त्यों बना हुआ है। हमारे देश में व्यक्तित्व आधारित राजनीति नई बात नहीं है। बीच-बीच में ऐसे दौर जरूर आए, जब व्यक्तित्व का जोर कम हुआ, मगर फिर इसने वापसी भी की। पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू हों, या इंदिरा गांधी, या...

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