बजट का इंतजार सबको है। खासकर ग्रामीण और कृषक वर्गों में इसकी बेसब्री ज्यादा है। उनके लिए यह बजट ‘रक्षक' या ‘भक्षक' की भूमिका निभाने वाला होगा, क्योंकि पिछले दो बजट में किसानों के लिए कुछ खास नहीं था। आम चुनाव के दौरान किए गए वादों ने उनमें खासा उत्साह भरा था, लेकिन धरातल अनछुआ रह गया। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा 50 फीसदी लाभकारी मूल्य देने की...
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स्मार्ट शहर से अधिक स्मार्ट स्कूलों की जरूरत- श्रीश चौधरी
शिक्षक को वे सारे कार्य करने हैं, जिनके लिए न तो उसकी नियुक्ति हुई है, न ही वह इच्छुक या प्रशिक्षित हैं. 90% से अधिक बच्चे तीसरी-चौथी कक्षा में पहुंच जाने पर भी अपनी ही कक्षा की हिंदी पुस्तक की दो-चार लाइनें भी दो-चार मिनटों में शुद्ध व सहज स्वर में नहीं पढ़ सकते हैं. मध्याह्न भोजन के अतिरिक्त बच्चों को पाठशाला में कोई आकर्षण नहीं रह गया है. पढ़िए...
More »हर रोज ढाई हजार किसान छोड़ रहे हैं खेती
लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता किशन पटनायक ने कहा कि खेती और किसान की वर्तमान दशा के बीच यक्ष प्रश्न यह उठ खड़ा हुआ है कि वास्तव में किसान कौन हैं, किसान की क्या परिभाषा हो? एेसा इसलिए है कि वित्तीय योजनाओं के संदर्भ में किसान की एक परिभाषा है, तो राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो का कोई दूसरा मापदंड है, पुलिस की नजर में किसान की अलग परिभाषा है... इन सबके...
More »मेहनतकश लोगों को पैसे नहीं मिले तो अधिकारियों के वेतन भी होंगे बंद
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने पटना नगर निगम के चार सौ कर्मचारियों के बकाये वेतन और प्रोन्नति लाभ की राशि नहीं देने पर सरकार को कड़ी फटकार लगायी है. जस्टिस नवनीति प्रसाद सिंह की कोर्ट ने बुधवार को कहा कि यह मेहनतकश लोग हैं. सरकार इनके पैसे को लेकर हाथ खड़ा करती है तो कोर्ट चुप नहीं बैठेगा. कोर्ट ने कहा कि सरकार को सोचना चाहिए ...
More »पश्चिम की गलतियों से सीखें-- एम के वेणु
थॉमस पिकेटी ('21वीं सदी में पूंजी' के लेखक) ने अपने हालिया भारत दौरे में यहां के कुलीन वर्ग को कुछ कठोर संदेश दिए हैं। गौरतलब है कि यह संदेश उस समय आया है, जब भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर है और ग्रामीण आय में वृद्धि संभवतः वास्तविक रूप से नकारात्मक है। उन्होंने चेतावनी दी कि भारत के सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग को यह ढोंग बंद करना चाहिए कि वह आय और संपत्ति का...
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