SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 906

दो शिष्य गुरु चार, सरकारी महिमा अपरंपार

पौड़ी गढ़वाल [विनोद पोखरियाल]। एक स्कूल, चार शिक्षक, दो छात्र और खर्च साढ़े दस लाख रुपये सालाना। ये है उत्तराखंड केएक स्कूल की तस्वीर। यह कोई पब्लिक स्कूल नहीं, पौड़ी जिले के कोट ब्लाक स्थित एक गाव का सरकारी जूनियर हाईस्कूल है। यहा सरकार चार शिक्षकों के वेतन पर प्रतिमाह 88 हजार रुपये खर्च कर रही है। यह स्थिति एक-दो नहीं पूरे चार साल से है। यदि इन दोनों बच्चों को...

More »

मणिपुर के बच्चे कहाँ जाएं

मणिपुर में उग्रवाद और उग्रवाद के विरोध में जारी हिसंक गतिविधियों के चलते बीते कई दशकों से बच्चे हिंसा की कीमत चुके रहे हैं. यह सीधे तौर से गोलियों और अप्रत्यक्ष तौर से गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण की तरफ धकेले जा रहे हैं. राज्य में स्थितियां तनावपूर्ण होते हुए भी कई बार नियंत्रण में तो बन जाती हैं, मगर स्कूल और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे बुनियादी ढ़ांचे कुछ इस तरह से चरमराए हैं...

More »

पीपीपी से सावधान -योगेश दीवान

 भूमंडीलकरण-उदारीकरण के इस काल में अचानक एनजीओ या सिविल सोसाइटी समूहों की बाढ़ आना और वह भी शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, परिवहन और भोजन के मुद्दों पर थोड़ा शक पैदा करता है. खासकर, डब्ल्यूएसएफ की उस पूरी प्रक्रिया के बाद जो कहता था- “एक और दुनिया संभव है.” WSF इस असंभव को संभव बनाया है पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के उस मॉडल ने, जो न सीधा निजीकरण है न पूंजीवाद और न...

More »

शिक्षकों की कमी सर्व शिक्षा अभियान में बड़ी बाधा- योजना आयोग

शिक्षकों की संख्या में भारी कमी शिक्षा के बुनियादी अधिकार को साकार कर पाने में बड़ी बाधा है  साथ ही शिक्षकों से पढ़ाई के अतिरिक्त लिया जा रहा काम उनके उत्साह को तोड़ने वाला एक बड़ा कारण। सर्वशिक्षा अभियान से जुड़े आधे से ज्यादा शिक्षक नहीं चाहते कि उन्हें जनगणना के काम, चुनाव कार्य या मिड डे मील जैसी गतिविधियों में लगाया जाय।  योजना आयोग से संबद्ध प्रोग्राम इवैल्यूशन आर्गनाइजेशन की...

More »

कक्षा एक की किताब नहीं पढ़ पाते 8वीं के बच्चे

देहरादून [अनिल उपाध्याय]। उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षा का स्तर दिनों दिन गिरता जा रहा है। स्कूलों में गुरुजी आराम फरमा रहे हैं और बच्चे मस्ती में व्यस्त हैं। हालात कितने खराब हैं कि पाचवीं से आठवीं तक के बच्चों को कक्षा एक की किताब पढ़ने में दिक्कत होती है। छात्र जोड़-घटाने में कच्चे हैं। गुणा-भाग तो दूर की बात हैं। अंग्रेजी अक्षरों का ज्ञान बहुत सीमित है। चौंकाने वाली बात यह...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close