अपनी आर्थिक ताकत से दुनियाभर को हैरत में डालने वाले भारत में आज भी एक तबका ऐसा है जिसे पेयजल की कमी के कारण अपनी जान गंवानी पड़ती है। ताजा मामला मुंबई से सटे ठाणे जिले का है। यहां के एक आदिवासी इलाके में पानी की भारी कमी से 37 वर्षीय एक आदिवासी महिला की मौत हो गई। पानी के लिए खाती रही दर-दर की ठोकर श्रमजीवी संगठन के प्रमुख और वसई...
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हुण कोई उम्मीद नहीं बचीः 100 घंटे बीते, 62 बचाए,13 शव निकाले
जालंधर. शीतल फाइबर्स के मलबे में क्या कोई नहीं बचा है? बचाव दल एनडीआरएफ (नेशनल डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स) ने जीवित लोगों की तलाश खत्म करने के साथ ही इसके पिलरों पर लिख दिया है - नो विकटिम लाइव। यानी अब कोई मजदूर नहीं बचा है। फोर्स ने वीरवार की रात नया ऑपरेशन शुरू किया। यह काम है शवों की निशानदेही करना। वैसे चमत्कार की आस खत्म नहीं हुई है। जीवित लोगों की...
More »84 घंटे बाद आई आवाज, मैं जिंदा हूं
हादसे को पांच दिन हो गए। पांच दिन बाद भारी-भरकम मलबे के नीचे किसी के जिंदा होने की कल्पना भी असंभव सी लगती है, लेकिन अचानक घटना के 84 घंटे बाद मलबे से आई एक पांच सैकेंड की फोन कॉल ने कई श्रमिकों के परिजनों के हृदय में वह आस जगा दी है, जिसे वह पूरी तरह छोड़ चुके थे। एनडीआरएफ की टीम घटनास्थल पर काम कर रही थी। इस...
More »असंगठित मजदूरों को भी साइकिल
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने 40 प्रकार के असंगठित मजदूरों को भी साइकिल और सिलाई मशीन देने का फैसला किया है। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि राज्य सरकार ने नाई, धोबी, दर्जी, माली, मोची और बुनकर सहित 40 प्रकार के असंगठित मजदूर वर्ग के लिए भी विभिन्न नई कल्याण योजनाएं शुरू करने का निर्णय लिया है, जिनमें सिलाई मशीन सहायता, साइकिल सहायता, साइकिल-रिक्शा सहायता, चिकित्सा सहायता और अन्त्एष्टि...
More »बढ़ती बेरोजगारी के बीच-गिरीश मिश्र
नौजवानों के लिए इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है कि जब वह शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होकर उत्पादन के क्षेत्र में उतरने को तत्पर होता है, तब उससे कह दिया जाता है कि उसकी आवश्यकता नहीं है। ऐसे में उसका खुद पर गुस्सा लाजिमी है कि उसने अपने परिवार के संसाधनों का इस्तेमाल खुद को राष्ट्रीय उत्पादन में योगदान करने लायक बनाने के लिए व्यर्थ किया। मां-बाप...
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