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नए संकट ज्यादा गंभीर हैं -- हिमांशु

पिछले साल की आखिरी शाम को दिया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश उन ऊंचाइयों तक पहुंचने में नाकाम रहा, जिसका प्रचार किया गया था। लोग बीते 50 दिनों से कठिनाइयों का डटकर सामना कर रहे थे। इन दिनों वे कतारों में लगे रहे और अपनी खरीदारी भी कम की। मुश्किलों से राहत मिलने की उम्मीद वे मोदी के भाषण से लगा रहे थे। उन्हें यह भी...

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एक महीने 10 दिन में ही 100 फीसदी कर ली धान खरीदी

बिलासपुर, नईदुनिया न्यूज। प्रदेश में जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के मार्फत समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की जा रही है। जिसमें बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया है। बीते वर्ष की तुलना में इस साल 24 दिसंबर तक हुई धान खरीदी में भारी अंतर है। नईदुनिया के पास उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार राज्य के 30 उपार्जन केंद्रों में 100 फीसद से ज्यादा धान की खरीदी हुई है। जबकि अभी खरीदी...

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फसल रखने के काम आ रहे शौचालय

हर सुबह जब एसआर तेजस्वी, उसके साथी और छात्र छत्तीसगढ़ के धमतारी जिले के अम्दी के गवर्नमेंट हायर सेकंड्री स्कूल में एंट्री करते हैं तो अपनी सांस रोक लेते हैं क्योंकि तेजस्वी प्रिंसिपल हैं और इस स्कूल का खेल का मैदान आसपास रहने वाले लोगों के लिए पेशाब करने की जगह बन गया है। इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धमतारी और मुंगेली जिलों के अधिकारियों...

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जलवायु: मौसम का पक्ष-विपक्ष-- अखिलेश आर्येंन्दु

धूप-छांव, गरमी-बरसात का आना-जाना प्राकृतिक संतुलन के लिए जरूरी है। धरती पर जीवन के लिए ये मौसम उतने ही जरूरी हैं जितना की हमें जिंदा रहने के लिए जल और भोजन। यों तो हमारी जलवायु के हिसाब से बारह महीने में तीन मौसम-जाड़ा, गरमी और बरसात प्रमुख हैं। उनका अपना अलग रंग-ढंग है। हर मौसम की अपनी खामी और खूबी होती है। सभी मौसमों में हमें कुछ सुखद अहसास होते...

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आज तो आजिज हैं सब गरीब! - मृण्‍ााल पांडे

दु:ख, असहायता और राज-समाज के उत्पीड़न से भारतीय गरीबों का इतनी सदियों से रिश्ता रहा है कि वे अक्सर उसे खामोशी से सहते रहते हैं। पर हमारे यहां जनता की अनसुनी मूक व्यथा को स्वर देने वाले जनकवियों की वाल्मीकि से लेकर बाबा नागार्जुन तक एक लंबी परंपरा भी है, जिसमें नज़ीर अकबराबादी भी आते हैं। मध्यकाल में जब दिल्ली की बादशाहत उजड़ रही थी और जनता जाट, रुहेले, मराठा...

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