क्रांतिकारी बदलाव का सूत्रपात कौन करता है, नेता या आंदोलन? यह सवाल कुछ वैसा ही है, जैसे कि यह पूछना कि पहले मुर्गी आई या अंडा? फिर भी महाभारत से उपग्रह संचारित मीडिया के जमाने तक यह यक्ष प्रश्न पूछा जाता रहा है। युधिष्ठिर ने तो यक्ष को यह कहकर कि नेता ही अपने समय को गढ़ता है (राजा कालस्य कारणं) छुट्टी पा ली थी, लेकिन एकछत्र राजाओं का जमाना अब नहीं रहा।...
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'आरटीआई संज्ञा नहीं अब क्रिया हो गई है' दैनिक हिन्दुस्तान के विशेष संवाददाता श्याम सुमन की प्रस्??
देश के इतिहास में आरटीआई ऐक्ट एक ऐसा कानूनी दस्तावेज है, जो जनता का राज सुनिश्चित करता है। इस कानून ने नागरिकों को अधिकारों से लैस किया है, जिससे सरकारी तंत्र की नींद टूटी है और उसे जनता के प्रति अपनी जवाबदेही का अहसास हुआ है। लेकिन इन अधिकारों से अब सरकार कुछ परेशान-सी दिख रही है और सरकार में यह मत बनने लगा है कि इस कानून की समीक्षा...
More »गरीबी और अमीरी का पैमाना : हर्ष मंदर
मई की एक तपती हुई दोपहर को मैं नई दिल्ली में योजना आयोग भवन के सामने एक विचित्र विरोध प्रदर्शन में सम्मिलित हुआ था। प्रदर्शनकारी तख्तियां लहरा रहे थे, जोशोखरोश से नारे लगा रहे थे, लेकिन साथ ही वे देश की शीर्ष योजना निर्मात्री संस्था के सदस्यों के लिए कुछ ‘भेंट’ भी लेकर आए थे। उनकी भेंट ठुकरा दी गईं और प्रदर्शनकारियों की भीड़ को पुलिस ने मामूली झड़प के बाद...
More »बत्तीस के फेर में गरीबी : इला भट्ट
अब देश की सरकार गरीबी के मानदंडों में संशोधन करने जा रही है, जैसे कि देश को पता ही न हो कि गरीबी के मायने आखिर क्या हैं! सरकार का मानना है कि शहरी क्षेत्र में एक दिन में 32 रुपए और ग्रामीण क्षेत्र में एक दिन में 26 रुपए से अधिक खर्च करने वाला व्यक्ति ‘गरीब’ नहीं माना जा सकता और इसलिए वह सरकार की विभिन्न हितकारी योजनाओं के लिए पात्र...
More »आशा और गरिमा से विस्थापन : हर्ष मंदर
भारत के अनेक मनोचिकित्सालय लंबे समय से विस्मृत दीन-दुखियों के लिए अंधकारपूर्ण बंदीगृह बने हुए हैं। मानवाधिकारों की सुरक्षा करने और सभी के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के हमारे मिले-जुले रिकॉर्ड में मानसिक रूप से विकलांग लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा और उनका पुनर्वास संभवत: सबसे चिंतनीय प्रसंगों में से एक है। कुछ साल पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट सहित कई अन्य स्वतंत्र रिपोर्टो द्वारा प्रस्तुत एक सर्वेक्षण...
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