दलितों का महत्व अचानक ही बढ़ गया है, तमाम राजनीतिक पार्टियां डॉ. भीमराव अंबेडकर की परंपरा को अपनाने का दावा करते हुए दलितों के साथ अपनापा स्थापित करने में लग गई हैं। संघ परिवार जैसा दलितों का घनघोर विरोधी संगठन भी अंबेडकर के पक्ष में खड़ा होने लगा है। इन बुनियादी तथ्यों पर जरा नजर दौड़ाइए- 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा ने 282 सीटें...
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शराब नीति : समाज की तीखी प्रतिक्रिया, दो मंत्री भी विरोध में
भोपाल/इंदौर। नई शराब नीति में लाइसेंस लेकर 100 बोतल शराब के स्टाक की अनुमति देने के सरकार के निर्णय को लेकर प्रदेश भर में तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। सामाजिक संगठन, चिंतक, संत समाज, राजनीतिक दलों से लेकर आम लोगों तक ने इस फैसले को समाज और प्रदेश की संस्कृति के खिलाफ बताया है। गांधीवादी चिंतक सुब्बाराव का तो यहां तक कहना है कि उन्हें प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान...
More »मेधा के उत्पीड़न से सबक-- अफलातून
एक मेधावी और संवेदनशील युवा राजनीतिक की मौत ने भारतीय समाज को हिला दिया है. इस युवा में जोखिम उठाने का साहस था और अपने से ऊपर की पीढ़ी के उसूलों को आंख मूंद कर न मानने की फितरत भी. वह एक राजनीतिक कार्यकर्ता था, उसका संघर्ष राजनीतिक था. वह आतंक के आरोप में दी गयी फांसी के विरुद्ध था, तो साथ-साथ आतंक फैलाने के लिए सीमा...
More »भगवान के घर में भेदभाव क्यों? - अद्वैता काला
शनि शिंगणापुर मंदिर या हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश का मुद्दा इन दिनों गरमा-गरम बहस का विषय बना हुआ है। इन दोनों मामलों के संदर्भ में पूजा या धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश के अधिकार को तार्किक आयाम देना बहुत ही आसान है। इस बहस का अंत जाने-अनजाने देश में पहचान की राजनीति पर ही खत्म होगा, जो कि हमारे सार्वजनिक विमर्श के केंद्र में है। धु्रवीकरण...
More »वे दीवारें, जिन्हें लांघना है मुश्किल - सईद नकवी
पहली कहानी एक पीएचडी छात्र रोहित वेमुला की है, जो कार्ल सागान जैसा अंतरिक्ष विज्ञानी बनना चाहता था, लेकिन अंतत: वह आत्महत्या कर लेता है। दूसरी कहानी सीवेज की सफाई करने वाले एक व्यक्ति की है, जो सीवेज में जिंदा कॉकरोच की तलाश करता है। उन्हें देखकर उसे सुरक्षा का अहसास होता है कि कम से कम जहरीली गैसों से उसकी मौत नहीं होगी। एक दिन उसका आकलन गलत साबित...
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