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फिजूलखर्ची से ध्वस्त होती अर्थव्यवस्था-- एस. श्रीनिवासन

मध्य वर्ग अपने राज्य के बजट को आमतौर पर नजरंदाज करता है। उसके लिए यह एक सालाना कवायद है, जो उसके रोजमर्रा के जीवन से बहुत ज्यादा वास्ता नहीं रखती। राजनीतिक टिप्पणीकार और मीडिया भी इसे लेकर एक तरह से उदासीन रहते हैं। मगर राज्य के बजट महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये बताते हैं कि सियासी दलों ने चुनाव के दरम्यान जो वादा किया था, उसे वे पूरा कर रहे हैं...

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क्या कामकाज की बाधादौड़ ही सशक्तीकरण है-- ऋतु सारस्वत

आमतौर पर हमारी यह सोच है कि विकसित देशों में महिलाओं को उनके कार्यस्थलों पर समानता का दर्जा प्राप्त है, पर यह मिथक भर है। विकसित देश हों या विकासशील, महिलाओं को लेकर कमोबेश सभी की सोच एक जैसी है। हाल ही में पोलैंड के एक सांसद ने वॉरसा यूरोपीय संसद में कहा कि ‘महिलाओं को पुरुषों से कम वेतन मिलना चाहिए, क्योंकि वे कमजोर होती हैं।' ब्रिटेन के बराबरी...

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मिलेगा 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश

नई दिल्ली। कैरियर, घर और बच्चों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती नौकरीपेशा महिलाओं के लिए खुशखबरी है। मां बनने पर उन्हें 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश मिलेगा। संसद के दोनों सदनों से इसे हरी झंडी मिल गई है। गुरुवार को लोकसभा ने मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक 2016 पर अपनी मुहर लगा दी। राज्यसभा पिछले साल अगस्त में ही इस विधेयक को पास कर चुकी है। नये विधेयक में नौकरीपेशा...

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सिक्किम देश का पहला खुला शौचमुक्त राज्य : रुपाला

गंगटोक। सिक्किम देश का पहला खुला शौचमुक्त राज्य बन गया है। इसकी घोषणा सोमवार को नामनांग स्थित चिंतन भवन में आयोजित स्वच्छ शक्ति सप्ताह कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय पंचायती राज राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने की। उन्होंने कार्यक्रम में आठ महिलाओं को स्वच्छ चैंपियन पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि देश का पहला खुला शौचमुक्त राज्य बनने के लिए सिक्किम सरकार एवं सूबे के वाशिंदों को बधाई देता हूं। सिक्किम...

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कैसे रुके शिशु मृत्यु दर-- रमेश सर्राफ धमोरा

किसी भी समाज की खुशहाली का अनुमान उसके बच्चों और माताओं को देख कर लगाया जा सकता है। पर जिस समाज में हर साल तीन लाख बच्चे एक दिन भी जिंदा नहीं रह पाते और करीब सवा लाख माताएं हर साल प्रसव के दौरान मर जाती हैं, उस समाज की दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। जब देश में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की कोई कमी नहीं है, तब ऐसा...

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