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राशन दुकानों का रहेगा ऑनलाइन रिकार्ड, मशीन बताएगी दाम का लेखाजोखा

बैतूल। राशन दुकानों में आगामी 1 अक्टूबर से राशन वितरण पीओएस मशीन के जरिए होगा। इसके लिए जल्द ही हर दुकान में यह मशीन लगा दी जाएगी। मशीन के माध्यम से राशन मिलने के साथ ही उपभोक्ताओं को बिल भी दिया जाएगा। मशीन खुद ही यह बता देगी कि उपभोक्ता को कितना राशन देना है और इसके बदले उससे कितनी राशि लेना है। इससे कोई गड़बड़ी अब नहीं हो सकेगी।...

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राशन दुकानों का रहेगा ऑनलाइन रिकार्ड, मशीन बताएगी दाम का लेखाजोखा

बैतूल। राशन दुकानों में आगामी 1 अक्टूबर से राशन वितरण पीओएस मशीन के जरिए होगा। इसके लिए जल्द ही हर दुकान में यह मशीन लगा दी जाएगी। मशीन के माध्यम से राशन मिलने के साथ ही उपभोक्ताओं को बिल भी दिया जाएगा। मशीन खुद ही यह बता देगी कि उपभोक्ता को कितना राशन देना है और इसके बदले उससे कितनी राशि लेना है। इससे कोई गड़बड़ी अब नहीं हो सकेगी।...

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58 साल में मात्र ढाई फीसदी बढ़ी दालों की खेती

नई दिल्ली। दालों की बढ़ती कीमतों के लिए इस साल भले ही रबी फसल पर पड़ी बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की मार को जिम्मेदार बताया जा रहा हो, लेकिन आंकड़ों के अनुसार, इसका प्रमुख कारण सालों से दालों की खेती की अनदेखी है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व खाद्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही हैं। गेहूं का रकबा 164 फीसदी और धान का रकबा 36 फीसदी बढ़ा आधिकारिक आंकड़ों...

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बच्चों की सेहत : कुछ और आगे बढ़े हम-- ज्यां द्रेज

हाल ही में जारी रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन (आरएसओसी) के निष्कर्षों में मुख्यधारा की मीडिया ने कोई खास दिलचस्पी नहीं ली. यह दुखद है, क्योंकि सर्वेक्षण के निष्कर्षों में सीखने के लिए काफी कुछ हैं. तीसरा नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (एनएफएचएस) करीब दस साल पहले 2005-06 में संपन्न हुआ था. चौथे एनएफएचएस के पूरा होने में लगी भारी देरी से भारत के सामाजिक आंकड़े बहुत पुराने हो गये हैं. सौभाग्य...

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सूखे का साया

आखिरकार भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली। उसने इस साल मानसून के कमजोर रहने का अंदेशा जताया था। तब वित्तमंत्री ने कहा था कि घबराने की बात नहीं है, हो सकता है मानसून संबंधी पूर्वानुमान गलत निकले। दरअसल, वित्तमंत्री को बाजार की चिंता सता रही थी और वे निवेशकों को आश्वस्त करना चाहते थे कि सब कुछ ठीकठाक रहेगा। पर अब मौसम संबंधी पूर्वानुमान पहले से कहीं अधिक वैज्ञानिक...

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