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पंद्रह दिनों में डेंगू के 300 से ज्यादा मामले

डेंगू ने दिल्ली में तेजी से अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। पिछले 15 दिनों में ही दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में डेंगू के 300 मरीज भर्ती हुए हैं। एक की मौत हो चुकी है, हालांकि सरकारी आंकड़ों में इसका कोई उल्लेख नहीं है। दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों में जनवरी से 15 सितंबर 2013 तक डेंगू के 466 मरीजों की पुष्टि हुई है। लेकिन सही आकंड़ा इससे कई ज्यादा...

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डॉक्टर्स को पता ही नहीं यहां मरीजों पर दवाएं असर कर रहीं या नहीं- पीलूराम साहू

रायपुर. आंबेडकर अस्पताल में मरीजों को दी जा रही दवाओं की कोई गारंटी नहीं है। दवाएं असर कर रही हैं या नहीं यह बात डॉक्टर भी नहीं जानते। पिछले चार साल में मरीजाें के लिए लगभग 28 करोड़ की दवाएं खरीदी जा चुकी हैं, लेकिन एक भी दवा की लेबोरेटरी में जांच नहीं करवाई गई। इससे यह इससे यह नहीं पता चल पा रहा है कि मरीजों को दी जा...

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कैंसर दवा पेटेंट मामले में नोवार्टिस मुकदमा हारी, 15 गुना सस्ती हो सकती है दवा

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने स्विस दवा कंपनी नोवार्टिस एजी की एक कैंसररोधी दवा के पेटेंट दावे को खारिज कर दिया। अदालत के फैसले की स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सराहना की। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को एक अहम फैसला देते हुए कैंसर की दवा ग्लिवेक (इमैटिनिब मेसिलेट) पर स्विस कंपनी नोवार्टिस एजी के पेटेंट का दावा खारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा कि कंपनी पेटेंट की जांच पर खरी नहीं उतरी। न्यायमूर्ति आफताब...

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सेहत का बीमा या मुनाफे का- अरविन्द कुमार सेन

जनसत्ता 24 दिसंबर, 2012: राजीव गांधी एक मर्तबा राजस्थान के दौरे पर गए थे और अपनी सभा खत्म होने के बाद पंडाल से निकलते समय स्थानीय लोगों से उनकी दिक्कतों के बारे में पूछ रहे थे। कुछ किसानों ने कहा कि साहब पिछले साल हरी मिर्च के दाम आसमान पर चल रहे थे तो नफे की आस में हम लोगों ने इस बार पूरे खेत में मिर्च बोई थी। हरी मिर्च...

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अंगदान और सामाजिक पूर्वग्रह- सुभाष गताडे

जनसत्ता 20 अक्टुबर, 2012: दिल्ली के एक अग्रणी अस्पताल में पिछले दिनों एक अलग किस्म के सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। महज सत्रह साल की उम्र में दुर्घटना की शिकार हुई पायल (बदला हुआ नाम)- जिसे डॉक्टरों ने ब्रेन-डेड घोषित किया था उसके माता-पिता इस समारोह के केंद्र में थे, जिनके बेहद कठिन निर्णय से तीन लोगों की जिंदगी बची और दो लोगों की दृष्टि वापस लौटी। निश्चय ही उनके लिए...

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