इंदौर। नेताओं का भाषण हो या अफसरों की फाइलें किसानों से संबंधित योजनाओं की फेहरिस्त खासी लंबी होती है। लेकिन ये योजनाएं किसान के खेत-खलियान तक क्यों नहीं पहुंच पाती ये शायद वही सवाल है जिसका जवाब जानने आज किसान सड़कों उतर आया है। मध्यप्रदेश में किसानों के नाम पर करीब 30 से ज्यादा योजनाएं चल रही हैं। इसमें केंद्र और राज्य सरकार दोनों की योजनाएं शामिल है लेकिन जमीन पर...
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कारोबार बनाम आहार-- रमेश कुमार दूबे
वर्ष 2008 की विश्वव्यापी मंदी के बाद शुरू हुई खेती की जमीन के अधिग्रहण की प्रकिया भले ही अब मंद पड़ गई हो लेकिन वैश्विक खाद्य तंत्र पर कब्जा जमाने की प्रवृत्ति में कोई कमी नहीं आई है। छोटी जोतों और स्थानीय खाद्य बाजार की जगह वैश्विक खाद्य आपूर्ति तंत्र स्थापित करने की जो प्रक्रिया दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यूरोप-अमेरिका में शुरू हुई थी वह अब तीसरी दुनिया को अपनी...
More »किसान आंदोलन: मंदसौर से पहले नंदीग्राम, सिंगुर, भट्टा-पारसौल और टप्पल में भी मारे गए अन्नदाता
मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के पिपल्यामंडी में किसान आंदोलन के उग्र होने के कारण पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और कथित तौर पर गोलियां भी चलायीं। गोलियां लगने के कारण 6 किसानों की मौत हो गई और दो घायल हो गए। इन घटनाओं के बीच पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच पिपल्यामंडी और आसपास के इलाकों में जमकर हिंसक घटनाएं और उपद्रव हुआ। आंदोलनकारी किसान...
More »विश्व पर्यावरण दिवस : खत्म हो रही है मिट्टी की आत्मा,10 फीसदी बचे केंचुए
भोपाल। बरसात की फुहारें पड़ते ही घर-आंगन में रेंगने वाला देशी केंचुआ अब नहीं दिखता। पहले खेत के एक वर्गमीटर क्षेत्र में करीब 100 केंचुएं मिल जाते थे,आज यह संख्या महज 10 से 15 ही बची है। मिट्टी की 'आत्मा" इस जीव का वजूद फसलों में जहरीली खाद,कीटनाशक के बेजा इस्तेमाल देने से खत्म होने की कगार पर है। इसी तरह पहले एक चम्मच मिट्टी में लाखों पोषक तत्व मिलते...
More »किसानों से अब भी दूर है फसल बीमा योजना-- के सी त्यागी
पिछले साल की तरह इस साल भी अप्रैल की बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं ने रबी की फसल व बागवानी को काफी नुकसान पहुंचाया। इस प्राकृतिक आपदा ने पहले से बदहाल किसानों की परेशानियां बढ़ा दी हैं। उत्तर भारत में जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य भारत में विदर्भ के किसान इससे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। अब लाखों किसान सरकारी कार्यालयों और बीमा कंपनियों के चक्कर काटने को...
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