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मेहनतकश की मजदूरी का सवाल : हर्ष मंदर

‘खेतों और फैक्टरियों में काम करने वाले हर मजदूर और कामगार को कम से कम इतना अधिकार तो है ही कि वह इतनी मजदूरी पाए कि अपना जीवन सुख-सुविधा से बिता सके..।’ वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में अध्यक्षीय भाषण दे रहे जवाहरलाल नेहरू ने यह बात कही थी। इसके नौ दशक बाद स्वतंत्र भारत की केंद्र सरकार ने कहा कि लोककार्य के लिए कानून द्वारा स्थापित न्यूनतम मजदूरी का भुगतान...

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बिहार में बहार-- देविंदर शर्मा

बिहार में नीतीश कुमार दोबारा सत्ता में वापसी करने में सफल रहे. इससे आम लोगों को अपनी बेहतरी के लिए उम्मीद की किरण दिख रही है. पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री और जाने-माने अर्थशास्त्री महबूब उल हक ने एक बार मुझसे कहा था कि 1960 में वित्त मंत्री रहते समय वह पाकिस्तान की आर्थिक विकास दर सात प्रतिशत पहुंचाने में समर्थ थे, बावजूद इसके लोगों ने उन्हें हराने के लिए मतदान...

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ग्रामीण गरीबी रिपोर्ट 2011

 जब कभी दुनिया की गरीबी पर कोई रिपोर्ट जारी होती है, तो उसमें दक्षिण एशिया- उसमें भी खासकर भारत सबसे बदहाल दिखता है। हमारे यहां न सिर्फ सबसे ज्यादा संख्या में कम वजन (अंडरवेट) के बच्चे हैं, बल्कि प्रसूति के दौरान माताओं की मृत्यु की दर भी बेहद ऊंची है। भारत में ही सबसे ज्यादा ऐसे बच्चे हैं, जो स्कूल नहीं जाते और विश्व कुपोषण सारणी में भी भारत का...

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विस्थापन

खास बातें-     दुनिया में सबसे ज्यादा बड़े बांध बनाने वाले देशों में भारत तीसरे नंबर पर है। यहां अभी 3600 से ज्यादा बड़े बांधे हैं, जबकि 700 से ज्यादा अभी बनने की प्रक्रिया में हैं। भारत में बांधों की वजह से हुए विस्थापन के बारे में अलग अलग-अलग अनुमान हैं। दास और राव (1989) ने दावा किया कि भारत में बांध परियोजनाओं की वजह से दो करोड़ दस लाख लोग विस्थापित हुए। बड़े...

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अनाज भंडारण की गहराती समस्या

भारतीय खाद्य निगम अब अनाज को सड़ने से बचाने के लिए विदेशी कम्पनी मोर्गन स्टेनली की मदद लेने जा रहा है। मोटे तौर पर यह कम्पनी भारतीय खाद्य निगम को यह सिखाएगी कि अनाजों की खरीद, ढ़ुलाई और बफर स्टॉक की मात्रा तय करने से लेकर उसके रख-रखाव और वितरण की व्यवस्था को कैसे चुस्त-दुरुस्त रखा जा सकता है। पिछले कुछ सालों से अनाज के उचित भंडारण के अभाव में खुले...

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