जनसत्ता 23 मई, 2014 : इन चुनाव परिणामों ने स्पष्ट कर दिया कि नरेंद्र मोदी अपने दल से बड़े हैं। वे मालवा की इस कहावत के चरितार्थ हैं कि‘दस हाथ की कंकड़ी में बीस हाथ का बीज’। उनके ऐसा ‘वैराट्य’ ग्रहण करते ही उनका दल छिलके की तरह नीचे गिर गया है। वे स्वयंसिद्ध सत्ता की उस धार में बदल चुके हैं, जिसे अब दल की पुरानी आडवाणी-अटल छाप म्यान...
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वाम के लिए सबक- अरुण माहेश्वरी
जनसत्ता 21 मई, 2014 : सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में नरेंद्र मोदी और भाजपा की भारी लेकिन एक प्रकार से प्रत्याशित जीत ही हुई है। चुनाव प्रचार के दौरान ही इसके सारे संकेत मिलने लगे थे। फिर भी हमारे इधर के कई मंतव्यों से यह साफ है कि हम सामने दिखाई दे रहे इस सच को संभवत: समझ या स्वीकार नहीं पा रहे थे। हालांकि हमने ही अपनी एक टिप्पणी...
More »पेडन्यूज को अपराध बनाये जाने की जरूरत
नयी दिल्ली : मुख्य निर्वाचन आयुक्त वी एस संपत ने कहा है कि भारतीय चुनाव में पेड न्यूज की बढती समस्या से निपटने की राह में एक कानूनी खामी है और निर्वाचन कानून के तहत इसे अपराध बनाये जाने की जरूरत है. संपत को इस तथ्य से राहत है कि निर्वाचन आयोग ने 16वीं लोकसभा के चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराये जिसमें पहली बार नेताओं को नफरत फैलाने वाले भाषण देने से...
More »बदलती राजनीति के संकेत- जगदीप एस छोकर
लोकसभा चुनाव ने कई तरह की उम्मीदें जगाई हैं, मगर हताशा भी कम नहीं है। मतदाताओं में जागरूकता बढ़ी है, लेकिन पूरे चुनाव के दौरान लगा कि राजनीतिक पार्टियां अब भी बदलने को तैयार नहीं। अभी सर्वोच्च न्यायालय का एक फैसला आया है कि चुनाव आयोग के पास पेड न्यूज की वजह से चुनाव खर्च की जांच करने का अधिकार है। दरअसल विरोधी पार्टी की शिकायत पर चुनाव आयोग 2009 के...
More »अस्वीकृति में उठे हाथ- कुमार प्रशांत
सारे देश में चुनाव की तेज हलचल है और कई जगहों पर, कई व्यक्तियों की किस्मत उन मशीनों में बंद हो गई है,मशीनों में बंद हो गई है,जिन पर राजनीतिक दलों का भरोसा कम होता जा रहा है। वोट डाल कर मतदाताओं ने मुंह मोड़ लिया है। वे जानते हैं कि अब जब तक अगला चुनाव नहीं आता, इस लोकतंत्र से, इससे बनने वाली लोकसभा और उस लोकसभा में बैठने...
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