आजादी के ठीक बाद लगभग 400 आइसीएस अधिकारियों की जमात देशभर में थी. राजनीतिक तबके में इन अफसरों के खिलाफ जबरदस्त रोष था. परंतु संविधान की कुछ धाराओं की वजह से उन पर कार्रवाई नहीं हो सकती थी. सरदार पटेल ने इन अधिकारियों को सुरक्षा और सम्मान की गारंटी दी थी. अनंतसायनाम अयंगर, जो बाद में लोकसभा स्पीकर भी बने, ने पटेल के आश्वासन पर अपनी असहमति जतायी. वजह साफ...
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उ. प्र. में ‘खनन बल’ गठित करने की कवायद
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर में कथित रूप से खनन माफिया के दबाव में उपजिलाधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल को निलम्बित किये जाने को लेकर मचे बवाल के बीच उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में अवैध खनन पर रोक लगाने के लिये एक विशेष बल बनाने की कवायद कर रही है। प्रदेश के खनन राज्यमंत्री :स्वतंत्र प्रभार: गायत्री प्रसाद प्रजापति ने ‘भाषा' से विशेष बातचीत में बताया ‘‘सरकार प्रदेश में अवैध खनन को रोकने...
More »उत्तराखंड की चेतावनी- अपूर्व जोशी
जनसत्ता 26 जून, 2013: उत्तराखंड में आई भारी विपदा पर लिखने बैठा, तो एकाएक बाबा नागार्जुन याद आ गए, अपनी एक कविता के जरिए- ताड़ का तिल है/ तिल का ताड़ है/ पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है/ किसकी है जनवरी/ किसका अगस्त है/ कौन यहां सुखी है/ कौन यहां मस्त है/ सेठ ही सुखी है। सेठ ही मस्त है/ मंत्री ही सुखी है/ मंत्री ही मस्त है/...
More »दूसरों का हिस्सा हड़पने वाले- सुभाष गताडे
बीते दिनों जबलपुर उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में भाजपा के विधायक एवं पूर्व मंत्री मोती कश्यप के निर्वाचन को फर्जी जाति प्रमाणपत्र जमा करने के आधार पर अवैध घोषित किया। कटनी जिले के बड़वारा से चुनाव जीते मोती यों तो पिछड़ी जाति से संबद्ध रहे हैं, मगर उन्होंने चुनाव अनुसूचित तबके के लिए आरक्षित सीट से लड़ा। उनके चुनाव को बड़वारा के रामलाल कोल ने चुनौती दी थी। केवट जाति...
More »क्या विरोध का ढंग बदल सकता है- गिरिराज किशोर
जनसत्ता 5 मार्च, 2013: इक्कीस-बाईस फरवरी का भारत-बंद लगभग सफल हुआ। उसके लिए श्रमिक संगठनों को बधाई। लेकिन इस महाबंद ने मन में कई सवाल उठा दिए। बंद होते रहते हैं। दो मुख्य तर्क इनके पीछे हैं। एक, मजदूरों या कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा, और दूसरा, अपने अधिकारों की शांतिपूर्ण और सामूहिक अभिव्यक्ति। दोनों बातें अपनी जगह सही हैं। मजदूर के अधिकार का संरक्षण होना जरूरी है। लेकिन असंगठित मजदूर...
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