राजनीति और राजकाज पर दलगत राजनीति से बाहर कई अलग-अलग कार्यक्षेत्रों में भी गंभीरता से विचार किया जाता है। शासन उदार और संवेदनशील हो तो राजनीति के बाहर से आ रही प्रतिरोध की आवाज को सादर सुनकर राजनीति में संशोधन किए जाते हैं। पर यदि शासक आलोचना को राजद्रोह मानने पर उतारू हो जाए तो छुटभैये मुसाहबों द्वारा साहित्यिक, अकादमिक या स्वैच्छिक संगठनों से जुड़े आलोचकों को अपमानित करने से...
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विचाराधीन कैदियों का सवाल-- चंदन श्रीवास्तव
जानते सभी हैं कि देश की विभिन्न जेलों में फिलहाल क्षमता से ज्यादा कैदी रखे गये हैं, लेकिन जेलों के कैदियों से भरते जाने के सही कारण का पता अकसर लोगों को नहीं होता. सामान्य बुद्धि यही कहेगी कि जेलों में कैदी ज्यादा हैं, यह इस बात का भी संकेत हो सकता है कि समाज में अपराध बढ़ रहे हों और बढ़ते अपराधों पर रोक लगाने के लिए प्रशासन एकदम...
More »लोकतंत्र को दबोचता बर्बर भीड़तंत्र-- उर्मिलेश
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से महज 35 किमी की दूरी पर ग्रेटर नोएडा के एक गांव बिसायरा में सोमवार की रात कुछ लोगों ने संगठित ढंग से 50 वर्षीय अखलाक अहमद के घर पर हमला कर उसको मार डाला. अखलाक का 22 वर्षीय बेटा भी अस्पताल में जीवन-मृत्यु के बीच झूल रहा है. एकाएक हुए इस हमले, तोड़फोड़, लूटमार और हत्या की वजह क्या थी? एक अफवाह कि अखलाक गोमांस खाता...
More »50 साल से थाने तक नहीं पहुंचा गांव का एक भी विवाद
सोनू यादव तेंदूखेड़ा, दमोह । देश हो, प्रदेश हो, जिला या कस्बा हर जगह कभी न कभी लोगों के बीच आपसी विवाद होते हैं और मामले थाने तक पहुंच जाते हैं, लेकिन दमोह जिले का एक गांव ऐसा जहां पिछले 50 साल से एक भी विवाद नहीं हुआ। यदि कभी छोटा-मोटा विवाद हुआ भी है तो वह पुलिस थाने तक नहीं पहुंच पाया। गांव के वरिष्ठ ही पंचायत कर मामले में...
More »किशोरों में बढ़ती आत्महत्याएं- अंजलि सिन्हा
कोटा के कोचिंग संस्थानों में तनावग्रस्त बच्चों तथा इनमें से कुछ के आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाने की खबरों के बीच तथा शेष समाज में इसके प्रति व्यक्त की जा रही चिंताओं के चलते कोटा शहर के 40 कोचिंग संस्थानों ने मिल कर चौबीस घंटे की हेल्पलाइन सेवा शुरू की है, जो परेशान छात्रों की काउंसेलिंग करेगी. निश्चित ही ऐसी सेवा शुरू होने से छात्रों को शेयरिंग का एक...
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