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एंडरसन को बचाने के लिए मैं एसपी को सौ में से सौ नंबर देता हूं

तत्कालीन पुलिस महानिदेशक बीके मुखर्जी अब 80 साल के हैं। वे भोपाल में ही रहते हैं। उन्हें इस उम्र में यह अच्छी तरह याद है कि अजरुनसिंह से उनके ताल्लुक बहुत अच्छे थे, जिन्होंने उन्हें दूसरे कई सीनियर आईपीएस अफसरों को बायपास करके डीजीपी बनाया था। लेकिन एंडरसन मामले में उनकी याददाश्त धुंधला जाती है। आज इतने साल बाद भी वे तत्कालीन एसपी स्वराज पुरी को एंडरसन मामले में सौ में...

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गांव की समृद्धि के लिए वृद्धा की बलि

लातेहार। दुनिया भले ही चांद पर जा रही हो, मंगल पर लोगों को बसाने का सपना देखा जा रहो हो, लेकिन धरती के कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां धर्म के नाम पर हैवानियत हावी है। जी हां, यह अविश्वसनीय, लेकिन सच है। सदर प्रखंड के खैराखास गांव में सुख-समृद्धि के लिए बैगा पाहनों ने 65 वर्षीया वृद्धा बूदनी मसोमात की बलि दे दी। घटना बीते आठ अप्रैल की है, लेकिन इसका खुलासा बारह दिन बाद...

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बंगाल: भय से ग्रामीणों ने ली स्कूल में शरण

पश्चिमी मेदिनीपुर [जागरण संवाददाता]। पश्चिम मेदिनीपुर जिलांतर्गत नक्सल प्रभावित शालबनी थाना क्षेत्र के कलशीभांगा गांव के निवासियों ने पुलिस एवं सुरक्षा बलों के आतंक से स्थानीय देशबंधु हाईस्कूल में शरण ली है। स्कूल में शरण लिए लोगों का आरोप है कि शनिवार को पुलिस एवं सुरक्षा बलों के जवान कलशीभांगा गए थे और तलाशी के नाम पर कई घरों के दरवाजे तोड़कर लूटपाट की। गांव में मौजूद पुरुषों की बेरहमी से पिटाई करने के...

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ग्राम रक्षा दल सदस्यों का आर ब्लाक पर हंगामा

पटना। बिहार राज्य ग्राम रक्षा दल संघ के सदस्यों ने मंगलवार को प्रदर्शन करते हुए आर ब्लाक पर हंगामा किया। इस दौरान आंदोलनकारियों व पुलिस के बीच रोड़ेबाजी हुई जिसमें एक दर्जन लोगों को चोटें आई। रक्षा दल के सदस्य दलपतियों की सेवानिवृत्ति की आयु साठ वर्ष किये जाने समेत कई मांगों के सिलसिले में मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदर्शन कर रहे थे। गांधी मैदान से जुलूस की शक्ल में निकले बिहार राज्य ग्राम रक्षा...

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ये बेहाल सूरतें लेकिन गहरी नींद में है समाज

छपरा [कृष्णकांत]। 'खिलौना जान कर तुम तो मेरा दिल तोड़ जाते हो..।' बहुत दुश्मन दौर के गहरे धंसी टीस का बेतरतीब बयान है यह गीत- फिल्म 'खिलौना' का। गाना मशहूर अभिनेता स्व. संजीव कुमार पर फिल्माया गया था-जो अब रीयल लाइफ में भी कई ऐसे लोगों पर घट रहा है, जिनकी रातें बेचैनियों में कटीं। वे सुखिया नहीं है कि खाते और सोते। दुखिया है इसलिए कि जाग गये, जान गये। अब रो-रो कर असहज...

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