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'कोविड-19 से उबरने के बाद छह माह से गंध व स्वाद मुक्त जीवन जी रहा हूं मैं'

-डाउन टू अर्थ, लगभग दो सौ दिनों से मैं दो मौलिक इंद्रियों, गंध और स्वाद के बिना जी रहा हूं, ये दोनों इंद्रियां आपस में अंतरग रूप से जुड़ी हैं। इस साल अप्रैल के अंत में मेरा, पत्नी और बेटी का कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव आया था। जहां तक मुझे याद है, मई के पहले सप्ताह में मेरा स्वाद और गंध चली गई। जैसा कि मैं लिख रहा हूं-अभी तक ये दोनों वापस...

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मीठा देने वाले गन्ना मजदूर एक-एक निवाले को मोहताज क्यों?

-कारवां, एक तरफ, देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसान केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं, दूसरी तरफ महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में शोषण का ऐसा जाल बिछा हुआ है, जो हमें दिखाई तो नहीं देता है लेकिन दिन-ब-दिन अधिक फैलता और कसता जा रहा है. गन्ने की खेती के इस जाल में फंसे मजदूर और छोटे किसान अपनी बेबसी का रोना रो रहे हैं....

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भारत में 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार, 17.7 लाख अत्यंत कुपोषित: सरकारी आंकड़े

-द वायर, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में बताया है कि देश में 33 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं और इनमें से आधे से अधिक अत्यंत कुपोषित की श्रेणी (एसएएम) में आते हैं. कुपोषित बच्चों वाले राज्यों में महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात शीर्ष पर हैं. महिला और बाल विकास मंत्रालय ने निर्धन से निर्धनतम लोगों में कोविड...

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जो थैंक्यू कहना रह गया है मोदी जी..

-न्यूजलॉन्ड्री, मेरे वैक्सीन सर्टिफिकेट में आपकी तस्वीर टंकी हुई है. बहुत सारी बातों के लिए आप खुद ही अपने विज्ञापनों में अपना धन्यवाद करवाते रहे हैं. अब तो आपके मंत्री भी अपनी जगह आप ही का फोटो छापने लगे हैं. शायद धन्य महसूस करते भी होंगे. आपके जाने के बाद जो भी नेता आपकी पार्टी और विचारधारा को मिलेगा, वह शायद ही इतना सौभाग्यशाली हो. कौन सोच सकता है कि भारत...

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हीरा ज़रूरी या जंगल: 55,000 करोड़ वाली हीरे की ख़दानों की पड़ताल

-बीबीसी, एक डरावना सा जंगल कैसा होता है, सिर्फ़ किताबों में पढ़ा था और डिस्कवरी चैनल पर ही देखा था. कहानियाँ भी सुनी थीं, उनकी- जिनकी ज़िंदगी में इस जंगल के सिवा कुछ नहीं होता. एक दोपहर सन्नाटे को चीरते हुए उस घने जंगल में सागौन के दरख़्तों से निकलकर थोड़ी रोशनी में पहुँचे तो फटे-पुराने कपड़े पहने हुए एक व्यक्ति को कुछ पत्तियाँ और टहनियाँ बीनते हुए पाया. पता चला वो भगवान दास...

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