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जाति से आगे नहीं सोचती राजनीति-- बद्री नारायण

जातियों का उद्भव राजनीति के लिए नहीं हुआ था। मगर आज जातियां भारतीय राजनीति को आधार दे रही हैं। कहते हैं कि जातियों का उद्भव व्यवसायों व पेशों से जुड़ा था। पहले पेशे से ही जातियां निर्धारित होती थीं। फिर ये ‘जन्मना' अर्थात जन्म से जुड़ गईं। आज के दौर में, जब जातियों को ‘पहचान ' से जोड़कर उनका आक्रामक राजनीतिक इस्तेमाल किया जाने लगा है, तब इनकी एक नई...

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अर्थव्यवस्था में 7.4 फीसदी वृद्धि दर रहने की उम्मीद: नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि देश के वृहद आर्थिक बुनियादी कारक मजबूत बने हुए हैं और सरकार राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर चलने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने यह भी कहा कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बावजूद मुद्रास्फीति इसके निर्धारित दायरे में बनी हुई है. उन्होंने कहा कि 2,600 अरब डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक "आकर्षक स्थल" के रूप में उभरी...

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वैश्विक शांति सूचकांक में भारत का दर्जा पहले से बेहतर लेकिन अंदरुनी संघर्ष के मोर्चे पर हालात चिन्ताजनक

नये वैश्विक शांति सूचकांक रिपोर्ट में भारत की स्थिति पिछले साल के मुकाबले बेहतर हुई है लेकिन समाजी अमन और सियासी स्थिरता के एतबार से रिपोर्ट से निकलते संकेत भारत के लिए चिन्ताजनक हैं.   रिपोर्ट के मुताबिक सत्ता के शिखर पर ताकत के सिमटते जाने के कारण भारत का अंकमान सियासी अतिवाद तथा अंदरुनी संघर्ष के पैमाने पर चिन्ताजनक ऊंचाई पर है. रिपोर्ट में भारत को 163 देशों की सूची में इस साल...

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2017 में हिंसा से भारतीय अर्थव्यवस्था को 80 लाख करोड़ का नुकसान

नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था को क्रय शक्ति क्षमता (पीपीपी) के संदर्भ में हिंसा के कारण पिछले साल देश को 1,190 अरब डॉलर यानी करीब 80 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है। यह नुकसान प्रति व्यक्ति के हिसाब से करीब 595.40 डॉलर यानी 40 हजार रुपए से अधिक है। गैर सरकारी संगठन इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने 163 देशों एवं क्षेत्रों का अध्ययन करने के बाद यह...

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बंगाल में लोकतंत्र का मखौल-- प्रसेनजीत बोस

पश्चिम बंगाल का मौजूदा पंचायत चुनाव पूरी तरह से लोकतंत्र के साथ घटिया मजाक है. फिलहाल राज्य में पंचायत के पदों की संख्या करीब 48 हजार है. साल 1978 से हर पांच वर्ष पर राज्य में पंचायत के चुनाव हो रहे हैं. उस समय से दो बार- 2003 में वाम मोर्चे की सरकार और 2013 में तृणमूल कांग्रेस की सरकार के तहत- सबसे ज्यादा निर्विरोध उम्मीदवार चुने गये थे....

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