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गांव वालों की सेहत पर ध्यान देने में तमिलनाडु सबसे आगे

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। गांव वालों की सेहत पर ध्यान देने के मामले में तमिलनाडु सबसे आगे रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्यों के प्रदर्शन का आकलन करने के बाद तमिलनाडु को नंबर एक पर रखा है। पिछड़े राज्यों के बीच राजस्थान को और उत्तर-पूर्व के राज्यों में असम को इस योजना के अमल में अव्वल पाया गया है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन [एनआरएचएम] के पांच साल पूरे...

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अब अस्पतालों में ही जन्म ले रहे हैं हरियाणा के नौनिहाल

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। हरियाणा के अस्पतालों में अब ज्यादा बच्चे पैदा होने लगे हैं, जो पहले घरों में परंपरागत तरीके से जन्म लेते थे। इससे जच्चा व बच्चा की जान व स्वास्थ्य के लिए खतरे कम हो गए हैं। राज्य में बेहतर चिकित्सा और गर्भवती महिलाओं को मुफ्त में अस्पताल पहुंचाने की सुंिवधा से यह संभव हो पाया है। पिछले तीन सालों में अस्पतालों में प्रसूति की वृद्धि दर 28 फीसदी से बढ़कर 69 फीसदी...

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अब बेरोजगार नहीं रहेंगे सूबे के युवा

रांची। यदि सरकार का सपना पूरा हुआ तो सूबे के युवा अब बेरोजगार नहीं रहेंगे। पढ़ाई पूरी होते ही उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर रोजगार मिल जाएगा। शिक्षा, विज्ञान-प्रावैधिकी, स्वास्थ्य, पर्यटन, आईटी, कल्याण, शहरी व ग्रामीण विकास विभागों के समवेत प्रयास से ऐसा होगा। दरअसल, युवाओं को स्किल्ड करने के लिए 'कौशल विकास मिशन' का गठन करने का निर्णय लिया गया है। राष्ट्रपति शासन के अंतिम दिनों में इसपर परामर्शी समिति की स्वीकृति भी मिल...

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गांवों में भी समय दें डॉक्टर : प्रतिभा पाटिल

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने युवा डाक्टरों से अपील की है कि वे अपने चिकित्सकीय जीवन का कुछ समय दूरदराज के क्षेत्रों व ग्रामीण इलाकों में दें, ताकि वहां के लोगों को बेहतर स्वास्थ लाभ मिल सके। सोमवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आयोजित 37वें दीक्षांत समारोह के दौरान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा कि इससे न केवल डॉक्टरों को राष्ट्रसेवा का सुख मिलेगा बल्कि...

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खेतिहर संकट

खास बात · घाटे का सौदा जानकर तकरीबन २७ फीसदी किसान खेती करना नापसंद करते हैं। कुल किसानों में ४० फीसदी का मानना है कि विकल्प हो तो वे खेती छोड़कर कोई और धंधा करना पसंद करेंगे। # पिछले चार दशकों में भूस्वामित्व की ईकाइ का आकार ६० फीसदी घटा है। साल १९६०-६१ में भूस्वामित्व की ईकाइ का औसत आकार २.३ हेक्टेयर था जो साल २००२-०३ में घटकर १.०६ हेक्टेयर रह गया।" · पंजाब...

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