आज जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है. मौसम का चक्र बदल रहा है. कभी बिन मौसम भारी बरसात, तो कभी बारिश के मौसम में सूखा. कभी असमय भारी बर्फबारी, तो कभी धुंध. धरती गर्म हो रही है. ग्लेशियर पिघल रहे हैं. जलस्तर बढ़ने के कारण समुद्र से घिरे द्वीपीय इलाकों के डूबने का खतरा पैदा हो रहा है. इनके सबकी वजह है बढ़ता प्रदूषण और पर्यावरण का...
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भारत-पाक के बीच गोलीबारी में फंसा सुनैना का ‘ब्रह्नास्त्र’
मीनापुर (मुजफ्फरपुर): अगर भारत-पाकिस्तान सीमा पर गोलीबारी नहीं होती, तो मुजफ्फरपुर के घोसौत की पांचवीं पास सुनैना देवी 11 अक्तूबर को अपने जैविक ‘ब्रह्नास्त्र' के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बता चुकी होतीं. सुनैना के ‘ब्रह्नास्त्र' से देश के दुश्मन नहीं, बल्कि खेतों के दुश्मन खर-पतवार व कीट-पतंगे मरते हैं. इसी के बारे में जानने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें पीएमओ बुलाया था. सुनैना दिल्ली जाने के...
More »आखिर किस कीमत पर विकास? - एमएम बुच
प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि भारत में तीव्र आर्थिक विकास और औद्योगीकरण आवश्यक है, किंतु उत्पादन की गुणवत्ता इतनी ऊंची होनी चाहिए कि विश्व भर में उसकी ख्याति हो। साथ ही विकास एवं औद्योगीकरण पर्यावरण के अनुकूल हो। इस ओर विशेष ध्यान दिया जाए कि विकास के कारण पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े। यूपीए सरकार से यह शिकायत रहा करती थी कि भू-अर्जन नीति...
More »सीएम ने कहा, ऐसे बीज विकसित करें जो प्राकृतिक आपदा झेल सकें
वैभव श्रीधर, भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सातवें राष्ट्रीय बीज सम्मेलन में कहा कि हमें ऐसे बीज विकसित करना चाहिए जो प्राकृतिक आपदा झेल सकें। प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलें बरबाद हो जाती हैं और इससे किसान को काफी नुकसान होता है। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के संबोधन के बीच शार्टसर्किट से धमाका भी हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे बीज को विकसित करना चाहिए जो कम अवधि वाली फसलें...
More »किसानों की कब्रगाह बन रहा है पंजाब-
हरित क्रांति ने भारतीय कृषि की तसवीर बदल दी. एक वक्त था, जब अनाज संकट से निबटने के लिए लाल बहादुर शास्त्री को लोगों से एक जून उपवास रखने की अपील करनी पड़ी थी, वहीं आज देश के गोदाम अनाजों से इतने भरे हैं कि रखने की जगह कम पड़ जाती है. लेकिन, यह बदलाव लानेवाले किसानों का क्या हुआ? आज किसान किस संकट से जूझ रहे हैं, इसे समझने...
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