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जवानी कहीं दीवानी न हो जाये!- अनिल रघुराज

इधर जवानी का जलवा-जलाल कुछ ज्यादा ही चढ़ गया है. मानव संसाधन में युवाओं की भूमिका का बखान बराबर हो रहा है. हम दुनिया के सबसे जवान देश हैं. हमारी 65 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम की है. मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी कुछ दिन पहले बमक पड़ीं कि 50 साल के राहुल गांधी युवा कैसे हो सकते हैं. खैर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर बड़े संजीदा हैं....

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एमडीजी--- भुखमरी के आंकड़ों पर सरकारी रिपोर्टों की चुप्पी !

बीते पच्चीस सालों में गरीबों की तादाद घटकर आधी हुई या नहीं इसे परखने के लिए सार्वजनिक रुप से बहुत से आंकड़े मौजूद हैं लेकिन यही बात भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या को घटाकर आधा करने के सहस्राब्दि विकास लक्ष्य के बारे में दावे के साथ नहीं कही जा सकती.   वजह है, नवीनतम नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-4 और ड्रिस्ट्रिक्ट लेवल हाऊसहोल्ड एंड फैमिली सर्वे-4 में 3 साल से कम उम्र के कुपोषित(अंडरवेट)...

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भ्रष्टाचार की संस्कृति में रचे-बसे हम - एनके सिंह

हर साल की तरह इस साल भी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट आई। भ्रष्टाचार के वैश्विक पैमाने पर भारत अंकों के आधार पर वहीं खड़ा है। पिछले हफ्ते ऑक्सफेम सहित दुनिया की तीन आर्थिक विश्लेषण संस्थाओं ने बताया कि भारत में विगत 25 सालों में गरीब-अमीर की खाई खतरनाक रूप से बढ़ती जा रही है। गरीब और गरीब होता जा रहा है, अमीर और अमीर। हमने कानून बनाए। भ्रष्टाचार के मुद्दे...

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रघुराम राजन की टिप्पणी के बाद जीडीपी पर कोहराम

किसी भी देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का निर्धारण एक जटिल अर्थशास्त्रीय प्रक्रिया होती है. इसमें अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र के उपलब्ध आंकड़ों, मुद्रास्फीति तथा आधार वर्ष के आंकड़ों के समायोजन से कुल उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तय किये जाते हैं. पिछले साल भारत सरकार ने जीडीपी के आकलन की प्रक्रिया में बड़ा फेरबदल किया, जिसे लेकर उद्योग जगत, अर्थशास्त्रियों और नीति-निर्धारकों में चर्चा चल रही है....

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आंकड़ों की धूल में छिपा सच-- अनिल रघुराज

इसका स्वार्थ, उसका स्वार्थ. तेरा स्वार्थ, मेरा स्वार्थ. सबका स्वार्थ अलग-अलग हो सकता है. लेकिन, सबका सच एक ही होता है. दिक्कत यह है कि शोर में सच कहीं खो गया है. भांति-भांति की आवाजों में इस सच को खोज पाना भूसे के ढेर में सुई ढूंढने जैसा है. यह मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं. बस, शोर को बड़ा एकाग्र होकर सुनना होगा, जैसे नाद योग या नाद साधना...

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