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10 फीसदी आरक्षण: सवर्णों के कंधे पर चुनावी बंदूक

124वें संविधान संशोधन विधेयक से यह बात साफ हो गई है कि इस सरकार को ऐसे क़दम उठाने में महारत हासिल हो गई है, जो उन्हीं लोगों को ले डूबते हैं, जिनके पक्ष में इनकी घोषणा होती है. नोटबंदी के शुरू में आम लोगों का बड़ा हिस्सा इस आनंद में डूब-उतरा रहा था कि काले धन वालों की फजीहत हो गई. मगर बाद में पता चला कि फजीहत तो उनकी हुई...

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संविधान में आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के लिए आरक्षण देने का प्रावधान नहीं: जस्टिस चेलमेश्वर

मुंबई: सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने बुधवार को कहा कि संविधान में सिर्फ समाज के सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण देने का प्रावधान है, न कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए. इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार, रिटायर्ड जस्टिस जे. चेलमेश्वर आईआईटी बॉम्बे में आयोजित आंबेडकर मेमोरियल लेक्चर में एक छात्र के सवाल का जवाब दे रहे थे. चेलमेश्वर ने...

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आसान नहीं आरक्षण की राह-- प्नो. फैजान मुस्तफा

पिछले दिनों आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने हेतु संसद के दोनों सदनों में पारित 124वें संविधान संशोधन विधेयक के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 16 में एक नया उपबंध जोड़ा गया है, जो राज्यों को ऐसे प्रावधान करने में समर्थ बनाता है. इस वजह से केंद्र सरकार को यह भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस आरक्षण को असंवैधानिक करार देने की संभावना नहीं होगी...

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सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण के संविधान संशोधन विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के संविधान संशोधन विधेयक को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। यूथ फॉर इक्वेलिटी नामक ग्रुप और डॉ कौशल कांत मिश्रा द्वारा दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट के द्वारा तय किए गए 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन करता है। इस कथा को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां...

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‘आरक्षण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं, नया विधेयक संविधान का उल्लंघन है’

नई दिल्ली: भारत सरकार के पूर्व सचिव पीएस कृष्णन सामाजिक न्याय के कई ऐतिहासिक कानूनों को लागू करने के पीछे महत्वपूर्ण लोगों में से एक थे. मोदी सरकार द्वारा नौकरियों और शिक्षा में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने को लेकर उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान का उल्लंघन है और ये न्यायिक जांच का सामना नहीं कर सकता है. द वायर से बात करते हुए, कृष्णन ने कहा...

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