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किसे है जीएम फसलों की जरूरत? - देविंदर शर्मा

गिल्स-एरिक सेरालिनी फ्रांस के नोर्मांडी में स्थित काएन यूनिवर्सिटी में प्राध्यापक हैं। दो साल पहले, वर्ष 2012 में उनके एक शोध पत्र ने वैज्ञानिक जगत में खलबली मचा दी थी। सेरालिनी ने कुछ चूहों को दो वर्ष तक जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) अनाज खिलाया था। नतीजे चौंकाने वाले रहे। चूहों के शरीर पर बहुत बड़े आकार वाली गांठें उभर आईं। साथ ही उनमें यकृत और गुर्दे की बीमारियां भी पाई गईं।...

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केंद्र मनरेगा की राशि देने में कर रहा आनाकानी

रांची। हिन्दुस्तान ब्यूरो। पैसे की कमी के कारण जिलों में मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों को भुगतान नहीं हो पा रहा है। केंद्र सरकार से राज्य को मनरेगा मद में 1500 करोड़ रुपये चाहिए। केंद्र यह राशि समय पर उपलब्ध नहीं करा रहा है। राज्य सरकार ने केंद्र से मनरेगा की बाकी बची राशि जारी करने का आग्रह किया है। केंद्र सरकार ने मई माह तक 276 करोड़ रुपये...

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कठिन चुनौती होगी गंगा का उद्धार - अभिषेक कुमार सिंह

प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी ने अपने वादे के अनुरूप जो शुरुआती काम किए हैं, उनमें से एक उल्लेखनीय काम उमा भारती को जल संसाधन और खासकर गंगा के पुनरुद्धार की जिम्मेदारी सौंपना रहा है। उमा इस चुनौती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त कही जा सकती हैं, क्योंकि एक वही हैं, जिन्होंने यूपीए के शासनकाल में सोनिया गांधी से मिलकर गंगा को बचाने की पहल करने की अपील की थी। पर क्या गंगा...

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साक्षात्कार:पर्यावरण को लेकर सरकार व समाज हो जागरूक

जंगल, जमीन हवा आदि प्रदूषित होते जा रहे हैं. धरती से लेकर आकाश तक कचरों को ढेर लगता जा रहा है. इसे लेकर दुनिया भर में चिंता व्यक्त की जा रही है. यह परिस्थिति कितनी गंभीर है और इससे कैसे निबटा जा सकता है, इन विषयों पर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पर्यावरणविद डॉ अरविंद कुमार से संदीप कुमार ने बातचीत की. डॉ कुमार मगध विश्वविद्यालय, बोध गया व विनोवा भावे विश्वविद्यालय...

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विकास के मॉडल का सवाल- के पी सिंह

जनसत्ता 22 मई, 2014 : चुनाव प्रचार के दौरान विकास के बहुतेरे मॉडल विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की ओर से प्रस्तुत किए गए। इससे पहले के चुनावों में भी विकास का कोई न कोई खाका पेश करके राजनीतिक दल मतदाताओं का विश्वास हासिल करते रहे हैं। इसके बावजूद ग्रामीण और दुर्गम पहाड़ी अंचलों में अधिकतर नागरिक आज भी स्वच्छ पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जी रहे...

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