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हिरासत में प्रताड़ना झेलने वाले मजदूर अधिकार कार्यकर्ता शिव कुमार को सभी मामलों में ज़मानत मिली

-द वायर, हरियाणा के सोनीपत जिला स्थित एक स्थानीय अदालत ने मजदूर अधिकार कार्यकर्ता शिव कुमार को उन सभी तीन मामलों में जमानत दे दी, जो उन पर एक औद्योगिक इकाई के खिलाफ संगठन बनाकर विरोध करने के लिए दर्ज की गई थी. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, 24 वर्षीय कुमार को दो मामलों में तीन मार्च को और एक मामले में 4 मार्च को जमानत दी गई. कुमार मजदूर अधिकार संगठन के प्रमुख...

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झज्जर, हरियाणा में रहने वाले जगपाल सिंह फोगाट और उनकी पत्नी, मुकेश देवी मधुमक्खी पालन और शहद की प्रोसेसिंग कर ‘नेचर फ्रेश’ के नाम से ग्राहकों तक पहुँचाते हैं।

-द बेटर इंडिया, लोगों को आज सामान्य खेती में कोई खास भविष्य नजर नहीं आ रहा है। इसलिए, बहुत से किसान परिवार खेती छोड़कर दूसरे रोजगार तलाश रहे हैं। लेकिन वहीं कुछ ऐसे किसान भी हैं, जिन्होंने खेती से जुड़े दूसरे विकल्पों में सफलता तलाशी है। इनका मानना है कि जब देश के बाकी क्षेत्रों में लगातार बदलाव हो रहे हैं तो कृषि क्षेत्र क्यों पीछे रहे? कृषि को भी आधुनिक...

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मोदी का उदय चंद कारपोरेट घरानों का विकास है : आरएलडी उपाध्यक्ष जयंत सिंह चौधरी

-कारवां, जयंत सिंह चौधरी राष्ट्रीय लोक दल के उपाध्यक्ष हैं. इस पार्टी का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आधार है. आरएलडी का गठन 1996 में जयंत के पिता अजित ने जनता दल से अलग हो कर किया था. इसकी पूर्ववर्ती पार्टी लोक दल थी, जिसकी स्थापना 1980 में जयंत के दादा चौधरी चरण सिंह ने की थी. चरण सिंह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रसिद्ध किसान नेता रहे. अपनी स्थापना के बाद...

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अधिकारों की लड़ाई में साथ आए आंदोलनकारी किसान और कुंडली के मजदूर

-कारवां, 35 साल के रिंकू कुमार मजदूरी करते हैं. उन्होंने मुझे बताया कि जब मार्च में कोरोनावायरस लॉकडाउन लगाया गया था तब वह हरियाणा के सोनीपत जिले के औद्योगिक शहर कुंडली में एक इस्पात निर्माण कंपनी में काम कर रहे थे. लॉकडाउन लगने के बाद अन्य प्रवासियों की तरह वह भी बिहार के खगड़िया जिले में अपने घर वापस चले गए. कुमार ने बताया कि उनके नियोक्ता ने उस वक्त उनकी 17...

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बादशाह के बरक्स किसानों की ताकत का सच गरिमा के साथ स्वीकारने का विवेक क्या शेष है?

-जनपथ, उसे हर उस चीज का बादशाह माना जाता था जिस पर उसकी नज़र जाती थी. सो उस सर्वशक्तिमान बादशाह केन्यूट [994-1035] ने उमड़ती आ रही लहरों को हुक्म दिया कि वे पीछे लौट जाएं और उसके राजसी चरणों और लिबास को गीला न करें. लेकिन बादशाह की दैविक शक्ति के बावजूद समुद्र की लहरों ने उसका हुक्म नहीं माना. मारे शर्मिंदगी के बादशाह के दरबारियों के सर झुके के झुके...

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