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खेत में हाजिरी ही किसान की आमदनी को कर सकती है दोगुनी,तिगुनी और चौगुनी : किसान कपिल भाटिया

-वाटर पोर्टल,   हिसार चंडीगढ़ रोड पर सूरेवाला मोड़ के नज़दीक वाकिंग डिस्टेंस पर बोर्ड दिखाई दे जाता है वी.डी. फ़ार्म फ्रेश और वी.डी. ओर्गानिक्स और यहाँ आपको मिल जायेंगे किसान कपिल भाटिया जी, जो कहते हैं कि मैं अपना फ़ार्म कभी भी छोड़ कर जब तक बहुत ही ज्यादा जरूरी ना हो कहीं नही जाता हूँ | मेरी दादी जी का नाम श्रीमती बिशन देवी था और मेरा उनसे बड़ा लगाव था मैंने 37 वर्ष...

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कुंभ 2021: क्या नेताओं के लिए ग्रहों की चाल आम ज़िंदगियों से ज़्यादा महत्वपूर्ण है

-द वायर, कुंभ मेला हर बारह साल पर होता है. हरिद्वार का पिछला कुंभ 2010 में हुआ था. हरिद्वार के वर्तमान कुंभ मेले की वास्तविक तारीख 2022 थी, 2021 नहीं. फिर इसकी तारीख को पूरे एक साल घटाकर इसका आयोजन उस जानलेवा साल में क्यों हुआ, जब भारत में कोविड की दूसरी लहर की आशंका जताई जा रही थी, और जब महामारियों के अध्ययन हमें बताते हैं कि संक्रमणों की दूसरी लहर हमेशा...

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काबे किस मुंह से जाओगे गालिब…

-आउटलुक, कोरोना सबकी कलई खोलता जा रहा है... हमारे शायर कृष्ण बिहारी नूर ने कहा है : सच घटे या बढ़े तो सच ना रहे/ झूठ की कोई इंतहा ही नहीं. कोरोना इसे सही साबित करने में लगा है। कोई है जो दस नहीं हजार मुख से चीख-चीख कर कह रहा है कि न अस्पतालों की कमी है, न बिस्तरों की; न वैक्सीन कहीं अनुपलब्ध है, न कहीं डॉक्टरों-नर्सों की कमी है। वह बार-बार कह रहा है...

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जच्चा-बच्चा सर्वे: गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं का एक बड़ा हिस्सा अभी भी मातृत्व लाभ से वंचित है

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 मातृत्व लाभ के लिए गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा 6,000 रुपए/ - प्रति बच्चा की गारंटी देता है. इस अधिनियन में वह शामिल नहीं हैं, जो केंद्र सरकार या राज्य सरकारों या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ या अन्य कानूनों के तहत नियमित रोजगार में रहते हुए इस तरह के लाभ उठा रहे हैं. एनएफएसए-2013 भी कानूनी...

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ऑक्सीजन संकट: आग लगने पर कुआं खोद रही हैं हमारी सरकारें

-न्यूजक्लिक, "अगर कोई, केंद्र सरकार, राज्य सरकार या फिर स्थानीय प्रशासन के किसी अधिकारी ने ऑक्सीजन सप्लाई में रुकावट डाली तो उसे फांसी पर चढ़ा देंगे।" नाराजगी भरे यह शब्द किसी व्यक्ति नेता और अफसर के नहीं है। बल्कि इंसाफ का फैसला सुनाने वाले अदालतों में से एक दिल्ली उच्च न्यायालय के हैं। जिनसे अपेक्षा की जाती है कि वह अगर कोई कड़वी बात भी कहेंगे तो थोड़ा उसे सलीके से...

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