जब भी किसी मुद्दे को लेकर दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में हल्ला मचने लगता है, तो मेरी आदत है किसी दूरदराज गांव में जाकर उसी मुद्दे पर आम, गरीब भारतवासियों से बातें करना। सो, पिछले हफ्ते जब आधार कार्ड को लेकर खूब हल्ला मचने लगा देश भर में निजता पर और पत्रकारों और टीवी एंकरों में भी खेमे बंट गए, मैं एक ऐसे गांव में जा पहुंची जहां कुछ भी...
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GST की मार से GDP बेहाल, पिछले साल से 0.6 फीसद कम रहने का अनुमान
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष (2017-18) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.5 फीसद रहने का अनुमान जताया गया है। इसमें कृषि ग्रोथ के 4.9 से घटकर 2.1 फीसद रहने का अनुमान जताया गया है। वहीं माइनिंग ग्रोथ के 2.9 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया है। जीडीपी ग्रोथ के अलावा जीवीए के 6.1 फीसद पर रहने का अनुमान जताया गया है। ये आंकड़े केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की ओर...
More »गंभीर होते खेती व रोजगार के सवाल - प्रदीप सिंह
लोकसभा चुनाव अभी सवा साल दूर हैं। इसे यों भी कह सकते हैं कि लोकसभा चुनाव में बस 16 महीने रह गए हैं। सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। 2014 के लोकसभा चुनाव और 2019 के चुनाव में एक बड़ा फर्क होगा। तब कांग्रेस सत्ता में थी और उससे सवाल पूछे जा रहे थे। आज भाजपा सत्ता में है और उससे जवाब मांगा...
More »पितृसत्ता का हिंसात्मक उत्सव--- राजू पांडेय
जब महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने पिछले साल बयान दिया था कि बलात्कार के मामलों में भारत उन चार देशों में सम्मिलित है, जहां सबसे कम बलात्कार होते हैं, तो उनकी बड़ी आलोचना हुई थी। हालांकि मेनका गांधी का कथन अंशत: सही था। प्रति एक लाख जनसंख्या पर होने वाले बलात्कार के प्रकरणों की दर की बात करें तो भारत में इसकी दर 2.6 है। उनतीस अन्य...
More »जेल सुधार का इंतजार-- पीयूष द्विवेदी
भारतीय समाज में जेल को लेकर अमूमन यही धारणा देखने को मिलेगी कि वह एक यंत्रणा-स्थल है, जहां अपराधी को उसके अपराधों के लिए तकलीफदेह तरीके से रख कर दंडित किया जाता है। इस धारणा को एकदम गलत तो नहीं कह सकते, मगर यह पूरी तरह सही भी नहीं है। निस्संदेह जेल में व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों में ही रहना होता है, पर इसका यह अर्थ नहीं कि वह यंत्रणा-स्थल...
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