नई दिल्ली। देश में लगातार दूसरे साल सूखे के हालात बन रहे हैं। ऐसा भारत के 115 साल के इतिहास में चौथी बार होने जा रहा है। इससे आम आदमी से लेकर सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 2014 के पूरे मानसून सीजन (जून-सितंबर) के दौरान देशभर में सामान्य के मुकाबले 88 फीसदी औसत बारिश हुई थी। वहीं, इस साल 1 जून से 4 सितंबर तक 645.7 मिलीमीटर औसत बारिश...
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दाल-दलहन आयात से घाटे की भरपाई करेगी सरकार
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सरकारी कंपनियों एमएमटीसी, पीईसी, एसटीसी और प्रमुख सहाकारिता संस्था नाफेड को साल 2006 से लेकर 2011 के बीच दाल-दलहन के आयात से हुए घाटे की भरपाई के लिए 113.40 करोड़ रुपए का भुगतान किए जाने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया। दलहन आयात से हुए घाटे की भरपाई का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल की बैठक में किया गया। एक आधिकारिक बयान...
More »देशभर में प्याज की कीमतों में लगी आग, हर मोर्चे पर सरकार लाचार-- अमलेश नंदन
देशभर में प्याज की कीमतें आम आदमी को रुला रही हैं. महानगरों में प्याज के भाव खुदरा मंडियों में क्वालिटी के हिसाब से 80 से 100 रुपये प्रति किलो हैं. जबकि अनय शहरों और यहां तक कि ग्रामीण इलाकों में भी प्याज 50 से 70 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं. प्याज की कीमतों में हर दूसरे दिन वृद्धि देखने को मिल रही है. खबरे आ रही है कि नासिक...
More »खाद्य सुरक्षा: सुधर सकते हैं फिसड्डी राज्यों के भी हालात- ज्यां द्रेज, रीतिका खेड़ा
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) की दशा ठीक नहीं है। अधिनियम को लागू हुए दो साल होने को आये लेकिन कुछ ही राज्य इसपर अमल कर पाये हैं। बाकी राज्य अब भी पात्र परिवारों की पहचान, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के सुधार तथा अन्य तैयारियों से जूझ रहे हैं। तो भी, हाल के सबूतों से संकेत मिलते हैं कि कुछ राज्य अधिनियम को बेहतर ढंग से लागू कर पाये...
More »2014-15 में खाद्यान्न उत्पादन 4.66 फीसदी घटा
कमजोर मानसून एवं फरवरी-मार्च में बेमौसम बरसात के चलते भारत का खाद्यान्न उत्पादन 2014-15 फसल वर्ष में अनुमानित 4.66 प्रतिशत घटकर 25 करोड़ 26 लाख व 80 हजार टन रहा। फसल वर्ष 2013-14 (जुलाई-जून) में देश में खाद्यान्न की पैदावार 26 करोड़ 50 लाख 40 हजार टन रहा था। खाद्यान्न भंडार में मुख्य हिस्सा गेहूं, चावल, मोटे अनाज और दालों का होता है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि देश...
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