भोपाल. योजनाएं चलाने में उनका इस्तेमाल करने वालों की भूमिका समाज को कैसे खुशहाल बना देती है,इसका उदाहरण हैं मान और जोबट सिंचाई परियोजनाएं। धार-झाबुआ जिले की इन दो परियोजनाओं के कमांड क्षेत्र में आने वाले किसानों की समझदारी और भागीदारी से 71 गांवों की तकदीर बदल गई है।इसके चलते इन गांवों में पक्के मकानों की तादाद में 14 फीसदी, बाइक संख्या में 16 और बैंक खातों में 35 प्रतिशत इजाफा हुआ है। वहीं...
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क्या सोचा क्या पाया
जिन सपनों को लेकर एक दशक पहले उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था उनमें से कितने सपने आंखों से उतरकर जमीन पर चल पाए हैं? नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य दस साल का हो गया. दस साल की उम्र किसी राज्य का भविष्य तय करने के लिए काफी नहीं होती, पर ‘पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं’ वाली कहावत के हिसाब से देखा जाए तो उस भविष्य का अंदाजा लगाने के...
More »निजी क्षेत्र बैंक गरीबों की योजना में ले रहे रूचि
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने कहा है कि निजी क्षेत्र के बैंक भी इलेक्ट्रानिक बेनिफिट ट्रांसफर [ईबीटी] स्कीम में रूचि ले रहे हैं। ईबीटी मनरेगा जैसी महती परियोजनाओं में लोगों तक बैंक खाते के जरिए धन हस्तांतरण का एक मजबूत जरिया बनकर उभरा है। यहां से करीब 40 किलोमीटर दूर नजफगढ़ के पास खेड़ा डाबर गांव में वित्तीय समावेश के लिए आयोजित के एक कार्यक्रम के दौरान रिजर्व बैंक...
More »फ्रांस से 440 करोड़ का कर्ज मंजूर
जयपुर. फ्रांस की वित्तीय संस्था एएफडी के बोर्ड ने जोधपुर पुनर्गठित पेयजल योजना के लिए 440 करोड़ रुपए के कर्ज को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही एफडी के प्रतिनिधि बेंजाइट ने जोधपुर में सूरपुरा और अन्य स्थानों का मौका मुआयना किया। इस दौरान टेंडर डॉक्यूमेंट पर चर्चा की गई। पीएचईडी के मुख्य अभियंता (विशेष परियोजना) अगम माथुर ने बताया कि जोधपुर की यह योजना 550 करोड़ रुपए की थी,...
More »ये भला कैसा वेदांत?- सुनीता नारायण
कच्चे माल की मांग का बढ़कर सिर चकरा देने वाले 1.6 करोड़ टन प्रति वर्ष पर पहुंच जाने को लेकर पड़ने वाले पर्यावरण के प्रभावों का अभी तक आकलन ही नहीं किया गया है। इतना सारा बाक्साइट कहां से आएगा? इसके लिए कितनी नई खदानों की जरूरत होगी? कितना अतिरिक्त जंगल काटा जाएगा? कितना पानी निगल लिया जाएगा, कितना साफ पानी भयानक गंदा हो जाएगा?पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा उड़ीसा...
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