कोविड-19 महामारी के इस दौर में दिल्ली के एक गैर-लाभकारी संगठन – नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एंप्लॉयमेंट फॉर डिस्बेल्ड पीपल (एनसीपीईडीपी) द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वे से पता चलता है कि देश में दिव्यांगजन इस महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. एनसीपीईडीपी की रिपोर्ट के अनुसार विशेष रूप से आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के दिव्यांगजन, लॉकडाउन के दौरान गंभीर कठिनाइयों से गुजर रहे थे. भोजन...
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आयुष मंत्रालय की ड्रग निर्माताओं को चेतावनी-उत्पाद बेंचने के लिए झूठे दावों का न लें सहारा, दर्ज होगी एफआईआर
-द प्रिंट, दिप्रिंट को पता चला है कि आयुष मंत्रालय ने, वैकल्पिक दवाओं के निर्माताओं को चेतावनी दी है, कि उपभोक्ताओं को गुमराह करने के लिए, अपने उत्पाद को कोविड-19 का ‘इलाज या रोकथाम’ बताकर प्रचारित न करे. मंत्रालय का ये क़दम उसके बाद आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 के खिलाफ इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए, वैकल्पिक दवाओं के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया था. दो जून को लिखे पत्र में मंत्रालय...
More »कोरोना: गुजरात के 'हेल्थ मॉडल' का डरावना हाल, तेज़ी से हो रही हैं मौतें
-बीबीसी, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य गुजरात कोरोना संक्रमण से सबसे बुरी तरह प्रभावित होने वाले राज्यों में शामिल है. महाराष्ट्र के बाद गुजरात ऐसा राज्य था जहां बेहद तेज़ी से कोरोना संक्रमण फैला और यहाँ पर वायरस के कारण मरने वालों की दर भी लगातार चिंता का विषय रही है. भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, देश में 5 जून को 2 लाख 16 हज़ार से ज़्यादा कोरोना संक्रमितों में...
More »नागरिक को अर्द्ध नागरिक में बदलता समय
-लोकवाणी, लॉकडाऊन के सवा दो माह गुजरने के बाद जब कोई सवाल ये पूछे तो कि देश ने क्या खोया-क्या पाया तो एक खस्ताहाल आम नागरिक का और क्या जवाब होगा भला सिवाय मी’र के इस शे’र के कि ‘उलटी हो गई सब तदबीरें कुछ ना दवा ने काम किया—देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आखिर काम तमाम किया’ ? लॉकडाऊन के बीते दिनों के बारे में बस इतना भर कहा जा सकता...
More »निजी अस्पताल में सरकारी पैसे से इलाज की छूट लेकिन निजी परिवहन से यात्रा करने पर सरकारी लाभ से वंचित
-जनचौक, पिछले तीन माह में यह स्पष्ट हो गया है कि कोरोना वायरस महामारी को रोकने में सरकार लगभग हर मोर्चे पर असफल रही है। न केवल सरकार कोरोना वायरस संक्रमण के तेजी से बढ़ते फैलाव को रोकने में असमर्थ रही है बल्कि उसके ही कारण देश के अधिकाँश लोगों को संभवतः सबसे बड़ी अमानवीय त्रासदी झेलनी पड़ी है। सरकार की असंवेदनशील, अल्प-कालिक और संकीर्ण सोच के कारण करोड़ों लोगों के...
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