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मोबाइल कंपनियां अपमानित करने की हद तक आम जिदंगी में घुस गई हैं

-न्यूजलॉन्ड्री, देश में मोबाइल सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियां अपने उपभोक्ताओं के लिए कई तरह के रिकॉर्ड संदेश प्रसारित करती है. इन संदेशों का नागरिक व मानव अधिकारों की सुरक्षा के मद्देनजर सरकार व उसके मातहत वाली संस्थाओं व आम नागरिकों के संवेदनशील प्रतिनिधियों की समिति द्वारा अध्ययन किया जाना चाहिए. मंत्री, ट्राई और संसदीय समिति के नाम पत्र में यह उदाहरण दिया गया है मोबाइल कंपनियां अपने रिकॉर्ड किए गए एक संदेश...

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कोविड-19 वैक्सीन कितनी सुरक्षित है?

-बीबीसी, भारत में कोविड-19 से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान जारी है. भारत में लोगों को दो तरह की वैक्सीन दी जा रही है. एक का नाम है कोविशील्ड जिसे एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने इसका उत्पादन किया. और दूसरा टीका है भारतीय कंपनी भारत बायोटेक द्वारा बनाया गया कोवैक्सीन. ब्रिटेन समेत कई अन्य देशों में भी लोगों को वैक्सीन लगाई जा...

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किसान संगठन ने कहा, सत्ता के शीर्ष पर बैठे पीएम मोदी एमएसपी पर सफेद झूठ बोल रहे हैं

-द वायर, केंद्र द्वारा लाए गए तीन विवादित कानूनों के खिलाफ रेल रोको प्रदर्शन के एक दिन बाद किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के सहयोगी संगठन अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बोले जा रहे ‘झूठ’ की ओर ध्यान दिलाया. संगठन के सदस्य और इन कानूनों पर सरकार के साथ बातचीत के प्रमुख वार्ताकारों में से एक हन्नान मोल्ला ने कहा,...

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UNU-INWEH रिपोर्ट: बूढ़े हो रहे बड़े बांधों का तीव्रता से निपटान करने के लिए प्रोटोकॉल जारी करने की जरूरत!

बड़े बांध जो पर्यावरणीय क्षति और बड़े पैमाने पर विस्थापन का कारण बने हैं, उनका भारत में नर्मदा बचाओ आंदोलन (NBA), नेशनल अलायंस ऑफ़ पीपुल्स मूवमेंट (NAPM) और पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) जैसे नागरिक समाज संगठनों (CSO) द्वारा विरोध किया गया है. संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय के कनाडा स्थित इंस्टीट्यूट फॉर वॉटर, एनवायरनमेंट एंड हेल्थ के साथ-साथ अन्य साथी संगठनों द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन से पता...

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दिल्ली की हवा को जानलेवा बना रहे हैं ये खतरनाक तत्व

डाउन टू अर्थ, पोटेशियम, सिलिकॉन, एल्यूमीनियम, क्लोरीन और कैल्शियम जैसे तत्व दिल्ली की हवा को जानलेवा बना रहे हैं। यह जानकारी हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ सरे के ग्लोबल सेंटर फॉर क्लीन एयर रिसर्च (जीसीएआरई) द्वारा किए शोध में सामने आई है। जिसे यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम, नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली के सहयोग से किया गया है। दिल्ली की हवा में मौजूद हानिकारक तत्वों की उपस्थिति और...

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