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कपास की सरकारी खरीद 261 फीसदी बढ़ी लेकिन भाव फिर भी समर्थन मूल्य से नीचे

चालू सीजन में कपास की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकारी खरीद तो 261.30 फीसदी बढ़कर 38.66 लाख गांठ की हो चुकी है लेकिन उत्पादक मंडियों में कपास के दाम 5,200 से 5,400 रुपये प्रति क्विंटल ही हैं जबकि केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए लॉन्ग स्टेपल कपास का समर्थन मूल्य 5,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। कॉटन कार्पोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी...

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लाख टके का सवाल: क्या 2020 में भी किसान जलाएंगे पराली?

पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर ने 23 सितंबर, 2019 से 26 नवंबर, 2019 के बीच पराली जलाने के आंकड़े जारी किए हैं। इन आकंड़ों के अनुसार 2019 में पराली जलाने के कुल 52,942 मामलों को दर्ज किया, जो कि 2018 के 50,590 मामलों से 2352 बार अधिक है। इस दौरान पराली जलाने के मामले में 23,277 मामलों में किसानों पर जुर्माना लगाया गया, वहीं 1,737 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई।...

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दालों एवं खाद्य तेलों की कीमतों पर अंकुश की तैयारी, केंद्र की राज्यों को सस्ती दालें बेचने की योजना

खुदरा में दालों के साथ ही खाद्य तेलों की कीमतों में आई तेजी रोकने के लिए केंद्र सरकार, राज्य को बाजार भाव से 15 रुपये प्रति किलो सस्ती दर पर दालें बेचेगी, साथ ही मूंगफली दाने के निर्यात पर रोक के साथ ही खुले बाजार में डेढ़ लाख टन मूंगफली बेचने की तैयारी कर रही है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दालों की कीमतों को काबू करने...

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तक़रीबन 60 करोड़ आधार नंबर पहले ही एनपीआर से जोड़े जा चुके हैं

 इस समय इस बात को लेकर विवाद चल रहा है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को आधार के साथ जोड़ा जाएगा या नहीं. कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये बताया गया है कि एनपीआर को आधार नंबर के साथ जोड़ा जाएगा. लेकिन गृह मंत्रालय का ये कहना है कि किसी भी व्यक्ति को कोई भी दस्तावेज देने को मजबूर नहीं किया जाएगा. हालांकि हकीकत ये है कि एनपीआर, 2020 की प्रक्रिया शुरू...

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जीवन भक्षक अस्पताल-1: देश के अस्पतालों में हर एक मिनट पर एक नवजात शिशु की मौत

इस देश में जच्चा-बच्चा कैसे सुरक्षित रह सकते हैं, जब स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर अस्पताल तक लोगों को समय से उपचार नहीं मिल रहा। संस्थागत प्रसव के बाद एक भी बच्चे की मौत तक व्यवस्था पर सवाल जिंदा बना रहेगा। रोजाना जन्मने वाले कुल शिशुओं मे 50 फीसदी की हिस्सेदारी अकेले आठ ईएजी राज्य करते हैं। यहां स्थितियां बेहद जर्जर हैं। वहीं अन्य राज्यों में भी स्थिति को संतोषजनक नहीं...

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