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सत्तर जैसा हाल, इक्यानबे जैसी आफत

नई दिल्ली, [अंशुमान तिवारी]। वित्त मंत्री के धमकाने पर विकास दर का आंकड़ा भले ही बदल जाए, लेकिन हकीकत बदलने वाली नहीं है। भारत के आर्थिक विकास की गति व्यावहारिक रूप से अब साठ-सत्तर के दशक वाली स्थिति में पहुंच गई है। विकास दर में से अगर विदेश व्यापार और विदेशी पूंजी को हटा दिया जाए तो देशी अर्थव्यवस्था पांच फीसद भी नहीं, बल्कि केवल 3 से 3.5 फीसद की दर से...

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राज्यों के तेवर देख केंद्र ने बदला रुख

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन में बुधवार को राज्यों के तेवर देखकर केंद्र ने अपना रुख बदल लिया है। राज्यों की आशंका को खारिज करते हुए सरकार ने खाद्यान्न आवंटन में किसी भी तरह की कटौती से इंकार किया है। खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने राज्यों की चिंताओं का जिक्र करते हुए कहा कि विधेयक के प्रावधानों पर अमल में आने वाले खर्च में भी केंद्र हाथ...

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सरकार के बजट में वंचितों के हकों की रक्षा कैसे हो- भारत डोगरा(विविधा फीचर सर्विस)

हाल के वर्षों में देश में ऐसे अनेक बजट विश्लेषण संस्थान स्थापित हुए हैं जो बजट में गरीब व कमजोर वर्ग के हितों का विश्लेषण इस दृष्टि से करते हैं कि इससे उनके हितों की रक्षा की जा सके, उन्हें आगे बढ़ाया जा सके। राजस्थान के संदर्भ में बजट के विश्लेषण व गरीब लोगों के बजट के आकलन-मूल्यांकन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को संभाला है बजट अध्ययन राजस्थान केंद्र ने। यह...

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सहयाद्री में हुआ निर्णय : सूखा राहत में विकास योजनाओं का भी पैसा

मुंबई. मंत्रिमंडल की योजना उपसमिति ने 2012-13 के बजट में विकास योजनाओं के लिए निर्धारित राशि में से 20 प्रतिशत रकम की कटौती कर, उसे सूखा राहत कोष में देने का फैसला किया है। यह निर्णय सोमवार को सहयाद्री अतिथिगृह में हुई उपसमिति की बैठक में किया गया।  सूत्रों के अनुसार उपसमिति की बैठक में प्रस्तावित...

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दलहन और तिलहन की पैदावार बढ़ाना जरूरी : पवार

बढ़ते आयात बिल में कमी करने के लिए देश में दलहन और तिलहनों की पैदावार बढ़ाना जरूरी है। सालाना घरेलू आवश्यकता की पूर्ति के लिए हमें करीब 50 फीसदी खाद्य तेलों का आयात करना पड़ता है जबकि देश में हर साल 30 से 35 लाख टन दालों का आयात होता है। घरेलू बीज कंपनियों के...

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