राजनीतिशास्त्र के सर्वश्रेष्ठ विद्वान रजनी कोठारी के जीवन और कृतित्व के बारे में जाने बिना भारतीय राजनीति और समाज के आपसी रिश्तों के बारे जानना नामुमकिन है. इस लिहाज से उनका विमर्श भारतीय राजनीति की एक पूरी किताब की तरह है, जिसे पढ़ना हर समझदार व्यक्ति के लिए अनिवार्य है. 1969 में प्रकाशित अपनी सबसे मशहूर रचना ‘पॉलिटिक्स इन इंडिया' में उन्होंने दावा किया था कि भारतीय समाज के संदर्भ...
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80 प्रतिशत महिलाएं नहीं जानतीं क्या है माहवारी- रजनीश आनंद
औरत जात के शरीर से खून जाता है, सो मेरे शरीर से भी जाता है. ई काहे होता है. ऊ हम नहीं जानते. यह कहना है लगभग 35 वर्षीय सुशीला देवी का. सुशीला चाईबासा जिले के बंदगांव प्रखंड, मेरोमगुटू पंचायत के कटवा गांव की रहने वाली हैं. माहवारी को लेकर इस पंचायत में किस कदर ज्ञान का अभाव है, इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सौ महिलाओं...
More »अकाल मौत से कैसे बचेंगे बच्चे- सुभाषिनी सहगल अली
हमारे देश में बच्चे बहुत मरते हैं। मरने वाले बच्चों के मां-बाप समझते हैं कि उनके बच्चों की मौत के लिए उनकी किस्मत फूटी होने की वजह जिम्मेदार है; या फिर वे देवी या देवताओं के प्रकोप को इसके लिए जिम्मेदार समझते हैं। और इसलिए वे तमाम तरकीबें निकालते हैं कि किसी तरह से देवी-देवताओं के गुस्से को ठंडा कर दिया जाए। कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश की हर सड़क...
More »इस अस्पताल में मरीज ही कर रहे खुद का इलाज
मुंबई। वडाला स्थित मुंबई के एकमात्र कुष्ठरोग अस्पताल में मरीज ही खुद का इलाज करने को मजबूर हैं। यह अक्वर्थ म्यूनिसिपल हॉस्पिटल फॉर लेप्रसी बीएमसी(वृहन मुंबई महानगर पालिका) द्वारा संचालित किया जा रहा है। डॉक्टरों द्वारा पर्याप्त ध्यान न दिए जाने से यह बदहाली की कगार पर पहुंच गया है। यहां समाज से बाहर किए गए कुष्ठ रोगी और कुछ अपने परिवार के साथ इलाज के लिए आए थे। लेकिन अब...
More »फिर स्वाइन फ्लू
जनसत्ता(संपादकीय)पिछले कुछ दिनों में दिल्ली में स्वाइन फ्लू से पांच लोगों की मौत हो चुकी है। समझा जा सकता है कि समय पर एहतियाती इंतजाम नहीं करने के क्या नतीजे हो सकते हैं। पिछले चार-पांच सालों में स्वाइन फ्लू एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है और इस बीमारी के उभरने के मौसम और बचाव के उपाय आदि को लेकर भी काफी हद तक तथ्य साफ हो चुके हैं।...
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