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बस्तर के आदिवासियों को पाच रुपये किलो चना

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राज्य के आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य दुकानों से गरीबी रेखा श्रेणी के सभी परिवारों को हर महीने प्रति परिवार पाच रुपये में एक किलो देशी चना देने की घोषणा की है। सिंह ने शनिवार को राजधानी रायपुर के नवीन विश्राम भवन सभागृह में आयोजित बस्तर एवं दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में यह...

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छुआछूत ने नहीं लगने दी स्कूल में नौकरी

बरवाला. सौथा गांव के सरकारी स्कूल में छूआछूत का एक चिंताजनक मामला सामने आया है। गांव के राजकीय मिडिल स्कूल में तीन महीने से एक दलित महिला को बतौर कुक ज्वाइन नहीं करने दिया जा रहा। महिला का आरोप है कि मीड डे मील इंचार्ज बार-बार यह कहकर नियुक्ति पत्र नहीं दे रहा कि गांव का कोई बच्चा उसके हाथ से बना खाना नहीं खाएगा। उधर, इस व्यवहार से नाराज गांव दलित...

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देश की आठवीं बेस्ट पंचायत कालूआना

सिरसा. जिले के कालूआना गांव की पंचायत को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2009-10 की देश की श्रेष्ठ (बेस्ट ऐट) आठ पंचायतों में चुना गया है। इसके लिए पंचायत को बुधवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सम्मानित किया। यह सम्मान कालूआना गांव के सरपंच जगदेव सहारण ने हासिल किया। दिल्ली में यह कार्यक्रम महात्मा...

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मनरेगा - पांच साल दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना के

बहुत थोड़ी होती है पांच साल की अवधि फिर भी नरेगा की उपलब्धियां आवाक कर रही हैं। देश के सर्वाधिक गरीब में शुमार लोगों में से तकरीबन दस करोड़ ने बैंक या फिर पोस्ट-ऑफिस में बैंक अकाऊंट खोले हैं, लोग अपना अधिकार समझकर काम मांग रहे हैं, हजारों गांवों में कुएं-तालाब और ऐसे ही सामुदायिक इस्तेमाल के कई संसाधन तैयार हो रहे हैं, औरत हो या मर्द- दोनों को बराबर के काम के लिए बराबर की...

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गंदा है, पर धंधा है- विमलेश मिश्र

विमलेश मिश्र, जमशेदपुर : ये दूसरों की गंदगी साफ करते, मगर खुद नारकीय जीवन जी रहे हैं। गंदगी साफ करते-करते चर्म, टीबी व कुष्ठ जैसे असाध्य रोग इन्हें घेर लेते हैं। अनुसूचित जाति के हैं, मगर सुविधा कुछ को ही। पहले सफाई के लिए सरकार या कंपनी से नौकरी मिल जाती थी, अब ठेकेदार से मिलने वाली मजदूरी पर जीवन टिका है। संसद ने कानून बना सिर पर मैला ढोने...

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