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अब ट्रैक्टर की खरीद पर 60,000 का अनुदान

पटना : राज्य सरकार किसानों को ट्रैक्टर खरीदने पर 40 हजार की जगह अब 60 हजार रुपये का अनुदान देगी. लोन से ट्रैक्टर खरीदने की बाध्यता भी समाप्त कर दी गयी है. अब नकद या प्राइवेट फ़ाइनेंसर की मदद लेने पर भी किसानों को ट्रैक्टर खरीद के लिए अनुदान मिलेगा. यह लाभ कम-से-कम एक एकड़ जमीनवाले किसानों को ही मिलेगा. ये बातें उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार ने गुरुवार को भाजपा मुख्यालय में...

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लोकपाल पर बैठक से पहले अन्‍ना का अल्‍टीमेटम: 30 तक नहीं बनी बात तो देखेंगे

नई दिल्‍ली. लोकपाल बिल ड्राफ्ट करने के लिए बनी समिति की बैठक से ऐन पहले अन्‍ना हजारे ने सरकार पर निशाना साधा है। उन्‍होंने कहा कि सरकार 'निर्वाचित तानाशाह' है। अगर 30 तारीख तक बिल के ड्राफ्ट पर सहमति नहीं बनी तो फिर देखेंगे। इधर बीजेपी भी खुलकर सिविल सोसायटी के पक्ष में आई है। अन्‍ना और समिति में सिविल सोसाइटी के बाकी सदस्‍यों की मांग है कि लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री और...

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भाजपा व संघ से मेरे रिश्तों का सुबूत दे कांग्रेस

नई दिल्ली। खुद को भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ [आरएसएस] का मुखौटा बताए जाने के व्यथित अन्ना हजारे ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कहा है कि कांग्रेस के नेता और मंत्री उन्हें बदनाम करने के लिए झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनके खिलाफ भाजपा और संघ से साठगांठ का कोई सुबूत हो तो उसे सामने लाया जाए। प्रस्तुत है सोनिया गांधी को अन्ना...

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दिग्विजय बोले, पीएम भी हों लोकपाल के दायरे में

गुना. सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की मंशाओं पर सवाल खड़े करने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने अब प्रधानमंत्री और उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने का समर्थन किया है। उन्होंने कहा,मेरे विचार से प्रधानमंत्री, उच्च न्यायपालिका, स्वैच्छिक संगठन और औद्योगिक घरानों को लोकपाल के दायरे में लाना चाहिए, लेकिन यह सुनिश्चित होना चाहिए कि लोकपाल अपनी ताकत का दुरुपयोग नहीं कर सके। उन्होंने कहा कि जब वे मप्र के मुख्यमंत्री थे,...

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राजशक्ति बनाम बाबाशक्ति- योगेन्द्र यादव

बेताल ने विक्रमादित्य से पूछा,‘कल तक जो सरकार बाबा रामदेव के सामने बिछी जा रही थी, वही अचानक दल-बल सहित उनके आंदोलन पर चढ़ क्यों बैठी? अगर बाबा लोकशक्ति के प्रतीक हैं तो सरकार की हिम्मत कैसे हुई कि उनके अनशन को तोड़े? अगर बाबा झूठे हैं, तो सरकार उनसे इतनी डरी क्यों थी?’ इक्कीसवीं सदी के बेताल और विक्रमादित्य किसी पेड़ नहीं बल्कि एक बड़ी टीवी स्क्रीन के नीचे...

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