मडुवा की खेती कर खाद्य सुरक्षा के साथ पोषण सुरक्षा के लक्ष्य को भी हासिल किया जा सकता है. सीमांत किसानों के लिए यह आवश्यक है कि धान के अलावा वह वैकल्पिक खेती अवश्य करें. इसमें मडुवा, सरगुजा, कुरथी, गुंदली व दूसरे किस्म की फसल शामिल हैं, जो पानी की कम मात्र होने पर भी अच्छी उपज दे सकते हैं. वैकल्पिक खेती पर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के जैवप्रोद्योगिकी विभाग के...
More »SEARCH RESULT
अब तक सामान्य से 43 फीसदी कम बारिश...
नई दिल्ली। कमजोर मानसून की आशंकाओं के साथ 9 राज्यों में खरीफ की फसल को लेकर चिंता गहराने लगी है। मौसम विभाग के मुताबिक, एक से 10 जून के बीच देश में 20.6 एमएम बारिश हुई, जो कि सामान्य से 43 फीसदी कम है। हालांकि, मानसून ने मध्य अरब सागर, तटीय कर्नाटक और पूरे गोवा को कवर कर लिया है। बारिश कम होने की वजह से उत्तर पश्चिम से मध्यम पश्चिम के बीच 9...
More »अलनीनो, मॉनसून और अर्थव्यवस्था- अविनाश कुमार चंचल
दुनियाभर के पर्यावरण विशेषज्ञ 2014 को अलनीनो का साल मान रहे हैं. अगर सच में यह साल अलनीनो के प्रभावों वाला होगा, तो यह भारत सहित समूचे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए चिंताजनक स्थिति बन सकती है. भारतीय मौसम विभाग ने भी इस साल मॉनसून में कमी का अनुमान जताया है. अलनीनो, मॉनसून और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव पर नजर डाल रहा है आज का नॉलेज. पर्यावरण के गंभीर खतरों के बीच...
More »धान की खेती के मोह को कम करें किसान- डा अब्दुल वदूद
किसानों को हर साल खेती में भारी क्षति का सामना करना पड़ता है. समय पर बारिश नहीं होने से किसानों की मेहनत तो बेकार हो ही जाती है साथ ही खेतों में डाले गये बीज तथा खाद भी बरबाद हो जाते हैं. किसानों को अब यह सलाह दी जाती है कि वे वैकल्पिक खेती की ओर ध्यान दें. इसी सिलसिले में पंचायतनामा संवाददाता ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में मौसम विज्ञान...
More »प्री-मानसून का असर हो सकता है कपास, मूंग और मक्का की फसल पर
मानसून आने से 1 महीने पहले ही बारिश शुरू हो गई है, ऐसे में खरीफ फसलों को नुकसान हो सकता है। मई महीने की शुरुआत से ही दक्षिण भारत में जोरदार बारिश हो रही है, ऐसे में फसल की बुआई के समय होने वाली बारिश में कमी आ सकती है। जानकारों का मानना है कि प्री-मानसून के चलते खरीफ फसल की बुआई का रकबा और उत्पादन घट सकता है,...
More »