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33 फीसदी से अधिक नुकसान वालों को मुआवजा, कई जिलों में सर्वे के लिए बाढ़ निकलने का इंतजार

डाउन टू अर्थ, 12 अक्टूबर उत्तर प्रदेश में करीब एक सप्ताह से जारी बरसात का सिलसिला अभी टूटा नहीं है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिले बाढ़ग्रस्त हो गए हैं जहां रेस्क्यू का काम जारी है। इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी 24 जिलों में फसल नुकसान के आकलन के आधार पर मुआवजे का ऐलान किया है। इन 24 जिलों में 3.56 लाख किसानों की पहचान हुई है जिनकी फसल...

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हमारा कोयला, हमारा अधिकार': खनन माफियाओं के खिलाफ लोगों का 12 साल से सत्याग्रह

 क्विंट हिंदी, 5 अक्टूबर  हमारा कोयला, हमारा अधिकार': खनन माफियाओं के खिलाफ लोगों का 12 साल से सत्याग्रह छत्तीसगढ़ के तमनार विकासखंड मुख्यालय में गांव-गांव से लोग हाथ में कोयला लेकर आ रहे थे. "हमार कोयला हमार हक" जैसे नारे एक साथ गूंज रहे थे. क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग सभी के हाथों में कोयले की डली थी. कुछ लोग कांवर में कोयला ढो रहे थे और एक जगह पर एकत्रित करने के...

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झारखंड: आदिवासी इलाकों में ग्राम सभाएं बचा रही हैं ज़मीनी लोकतंत्र

द वायर, 4 अक्टूबर  लोकतंत्र पर से  लोगों का भरोसा उठ रहा है. कथित सभ्य समाज के ढांचे में भी कई लोगों को बदलाव की उम्मीद नहीं दिखती. समाज में बढ़ते व्यक्तिवाद ने एक दूसरे पर भरोसा करने के जीवन-मूल्य को भी प्रभावित किया है. संवाद के रास्ते बंद दिखाई पड़ते हैं. स्थितियों को व्यापकता से देखने-समझने का नजरिया, जिसमें शोषित और पिछड़े तबके के लोगों के लिए भी रोजी-रोजगार के...

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भारत की जमीन पर फिर लौटेगा चीता, बेताबी से इंतजार

अमर उजाला, 12 सितम्बर चीते की वापसी की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और भारत एक बार फिर जमीन के सबसे तेज जानवर का बेताबी से इंतजार कर रहा है, जिसकी गुर्राहट कभी समूचे देश के जंगलों में गूंजती थी। 17 सितंबर को चीते भारत में लौटेंगे। जल्द ही चीता मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में विचरण कर रहा होगा। भारत में चीतों के न रहने के लिए पथ-निर्धारण,...

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आवास और आजीविका के विस्थापन के ख़िलाफ़ जंतर-मंतर पर विरोध-प्रदर्शन

जनचौक,07 सितम्बर, बुलडोजर राज बंद करो”, “शहरी गरीबों को अधिकार देना होगा”, “बिना पुनर्वास विस्थापन बंद करो”, “जिस जमीन पर बसे हैं, जो ज़मीन सरकारी है, वो ज़मीन हमारी है!” जैसे नारों के साथ कल सैकड़ों छतविहीन, आश्रयहीन, निर्वासित लोग बुलडोजर राज के ख़िलाफ़ जंतर-मंतर पर इकट्ठा हुए। क्या विडंबना है कि आज जब हम समाज के संपन्न लोग देश की कथित आज़ादी के 75वें साल पर अमृत महोत्सव मना रहे हैं,...

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