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जमीन किसान की या राज्य की- शंभुनाथ शुक्ल

आज भूमि अधिग्रहण विधेयक का विरोध हो रहा है। पर अगर आजादी के तत्काल बाद सरकार किसान और उसकी जमीन के संदर्भ में अंग्रेजों के पूर्व की स्थिति बहाल कर देती, तो यह स्थिति पैदा नहीं होती। यानी आजादी के बाद की कांग्रेसी सरकारें भी विकास के लिए वही नीति अपनाना चाहती थी, जो अंग्रेजों की थी। अंग्रेजों से पहले राजाओं, सुल्तानों व मुगलों के समय तक किसान ही जमीन...

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भूमि अधिग्रहण अध्‍यादेश की समय सीमा 5 अप्रैल को हो सकती है खत्‍म

नई दिल्ली। अधिकांश राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के कड़े विरोध के मद्देनजर सरकार विवादित भूमि अधिग्रहण अध्‍यादेश को समाप्‍त करने की अनु‍मति दे सकती है। भूमि अधिग्रहण अध्‍यादेश की समय सीमा 5 अप्रैल को समाप्‍त होगी। केंद्रीय कैबिनेट के एक वरिष्‍ठ मंत्री ने मंगलवार को बताया कि पांच अप्रैल को भूमि अधिग्रहण अध्‍यादेश समाप्‍त हो सकता है। उसके बाद हम देखेंग कि आगे क्‍या करना है। सरकार ने पिछले साल...

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भूमि अधिग्रहण का विरोध यों ही नहीं!

झारखंड में आदिवासियों की जमीन का मुआवजा बिचौलिये निगल गये. धनबाद में रिंग रोड के लिए अधिगृहीत की गयी जमीन के बदले आदिवासियों को ये पैसे दिये गये थे. 11 करोड़ 10 लाख रुपये की हेराफेरी का मामला सामने आया है. अगर जांच आगे बढ़े, तो यह राशि और भी अधिक हो सकती है. मामला संज्ञान में आने के बाद पूरे राज्य में हड़कंप है. पूरे देश में इस वक्त...

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भूमि-अधिग्रहण पर महाभारत- दिनेश त्रिवेदी

वर्ष 1989 में जब वीपी सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा सरकार सत्ता में आई थी तो उससे काफी उम्मीदें थीं। सरकार से आम लोगों की बहुत सारी अपेक्षाएं जुडी थीं। सामान्य धारणा यही थी कि वह लंबे अरसे तक सत्ता में बनी रहेगी, लेकिन यह सपना एक वर्ष में ही बिखरने लगा। मंडल आयोग का मुद्दा राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के लिए वाटरलू साबित हुआ और अंतत: सरकार धराशायी हो...

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ग्रामोद्योग की फिक्र किसे है- अरुण तिवारी

निवेश और उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न शुल्क और मंजूरियों में छूट से लेकर तकनीकी उन्नयन और इ-बिज पोर्टल जैसी तमाम घोषणाएं बजट में है। मंजूरियों में छूट को लेकर एक विधेयक लाने की तैयारी का संकेत भी कर दिया गया है। कहना न होगा कि वित्तमंत्री ने उद्योगों की तो खूब चिंता की, परग्रामोद्योगों को अब भी प्रतीक्षा है कि कोई आए और अलग से उनकी चिंता...

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