डबरा/भितरवार। डबरा और भितरवार विकासखंड में 509 बच्चे अतिकुपोषित श्रेणी में शासकीय रिकॉर्ड के अनुसार दर्ज हैं, लेकिन आंगनबाड़ी केंद्रों पर निर्धारित मेन्यू के अनुसार पोषण आहार नहीं दिया जा रहा है। भितरवार में 309 और डबरा विकासखंड में 200 बच्चे अतिकुपोषित हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों पर न तो बच्चों को नियमित खाना दिया जाता है न ही उनकी देखभाल की कोई व्यवस्था है। इतना ही नहीं प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र पर करीब...
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एनआरसी में नहीं लाते तो चली जाती 52 बच्चों की जान
श्योपुर। ब्यूरो। श्योपुर जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में 145 कुपोषित बच्चे भर्ती हैं। इनमें से 52 बच्चे खतरनाक कुपोषण की गिरफ्त में हैं। ये मासूम अगर एनआरसी नहीं लाए जाते तो कुछ दिन या महीने ही सांसें ले पाते। एनआरसी में कुपोषित बच्चों की देख-रेख के लिए नियुक्त डॉक्टरों के अनुसार 52 बच्चों की हालत बेहद खराब है। 52 में से 10 तो ऐसे हैं जिन्हें खून...
More »लहसुन की माला और नाड़े से कर रहे कुपोषण का इलाज!
खंडवा। सुमित अवस्थी। कम वजन के बच्चे, खांसी और बुखार से ग्रसित लेकिन डॉक्टरी इलाज की जगह झाड़-फूंक पर भरोसा। किसी बच्चे के गले में लहसुन की माला तो किसी के पीपल के पत्ते। किसी को मतरा हुआ पानी दिया जा रहा है तो कोई नाड़ा बांधे हुए है। पिछले 45 दिन में चार बच्चों की मौत के बाद भी कुपोषित बच्चों को न तो मां-बाप बाल शक्ति केंद्र ला...
More »देश में कुपोषण की कड़िया--- श्रीशचंद्र मिश्र
ओड़िशा के जाजपुर जिले के एक छोटे-से आदिवासी बहुल गांव में इस साल मार्च से जून के बीच कुपोषण से बारह बच्चों की मौत हो गई। पौने तीन सौ की आबादी वाले इस गांव में पांच से बारह साल के तिरासी बच्चों में एक तिहाई से ज्यादा का कुपोषित होना एक बड़े खतरे की तरफ संकेत करता है। यह तस्वीर का सिर्फ एक पहलू है। असल स्थिति क्या है, इसका...
More »कहानी रोशनी की और नौ लाख अति कुपोषित बच्चों के जीवन का सच
वैसे तो यह पूर्णिया जिले के सुदूरवर्ती गांव चंदरही की एक बच्ची और उसके परिवार की कथा है, मगर इस कथा में झांकेंगे तो बिहार के नौ लाख गंभीर रूप से अतिकुपोषित बच्चों के पारिवारिक जीवन की झलक मिलेगी. यहां एक मां है, जिसकी 12 साल की उम्र में शादी हो गयी. परिवार नियोजन के उपायों का पता नहीं था, सो 11 बच्चे हो गये. उनमें से पांच बेहतर स्वास्थ्य...
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