डाउन टू अर्थ, 17 जुलाई देश में एक ओर बाढ़ तो दूसरी ओर सूखे जैसे हालात हैं। कई राज्यों में भारी बारिश से बाढ़ आने के बावजूद देश के लगभग 38 प्रतिशत जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। इनमें से 16 फीसदी जिलों में सूखे जैसे हालात बन गए हैं। यही वजह है कि इस साल अब तक पिछले साल के मुकाबले 20 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की...
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FCI को नहीं मिल रहे चावल के खरीदार, 7.51 लाख टन पेशकश के मुकाबले हुई सिर्फ 460 टन की खरीद!
गाँव सवेरा, 17 जुलाई खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत एक तरफ केंद्र सरकार ने राज्यों को बोली लगाने से प्रतिबंधित कर दिया है, दूसरी तरफ भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा की जा रही गेहूं और चावल की ई-नीलामी में चावल के खरीदार नहीं मिल रहे हैं. एफसीआई द्वारा की गई चावल की दो नीलामी में सिर्फ 460 टन चावल की बिक्री हुई है, जबकि कुल पेशकश 7.51 लाख टन...
More »आदिवासी क्यों कर रहे हैं समान नागरिक संहिता का विरोध ?
"यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। आप मुझे बताइये, एक घर में, परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो, तो क्या वो घर चल पाएगा? कभी भी चल पाएगा? समर्थकों की ओर से जवाब आता है नहीं। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा। हमें याद रखना है कि भारत के...
More »उत्तर भारत भले पानी में डूबा हो लेकिन बूंद-बूंद के लिए तरस रहा है झारखंड
जनचौक, 13 जुलाई हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और दिल्ली भले ही पानी में डूबे हुए हैं लेकिन देश का एक राज्य झारखंड बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है। जुलाई का दूसरा सप्ताह गुजरने वाला है, हिन्दी तारीख से यह सावन का दूसरा सप्ताह है। लेकिन झारखंड में मॉनसून के आगमन के बावजूद बारिश नहीं हो रही है। जिसके कारण जहां एक तरफ खरीफ फसल की खेती के लिए किसान परेशान...
More »हिमाचल प्रदेश में विनाश के लिए कितनी जिम्मेवार हैं विकास परियोजनाएं?
डाउन टू अर्थ, 13 जुलाई विकास के नाम पर पर्यावरण और पारिथितिकी के साथ किए जा रहे खिलवाड़ का नतीजा पिछले तीन दिनों में हिमाचल में देखने को मिला है। पिछले तीन दिनों में हिमाचल में 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक की संपति को नुकसान पहुंचा है। यदि मॉनसून सीजन की बात करें तो 16 दिनों में हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं में 72 से अधिक जानें चली गई हैं। लेकिन...
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