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मुद्दों को मुंह चिढ़ाते नतीजे

-आउटलुक, बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों पर हमें आश्चर्य होना चाहिए। इसलिए नहीं कि एग्जिट पोल के नतीजे देखकर हमने कुछ और उम्मीदें पाल ली थीं, इसलिए नहीं कि मीडिया में आने वाली ग्राउंड रिपोर्ट सत्तारूढ़ गठबंधन की विदाई का संकेत दे रही थीं, इसलिए नहीं कि नतीजे हमारी आशा के अनुरूप नहीं थे। हमें राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन की एक और विजय पर आश्चर्य इसलिए होना चाहिए चूंकि यह नतीजा इतिहास के इस...

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प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार और पीडीएस का सार्वभौमीकरण (सभी के लिए)

श्री नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री, भारत भारत सरकार माननीय प्रधानमंत्री जी, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार और पीडीएस का सार्वभौमीकरण (सभी के लिए) प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना के बारे में हमारी गहरी चिंता व्यक्त करने के लिए हम आपको लिख रहे हैं। देश भर में मुफ्त राशन वितरण केवल नवंबर, 2020 तक ही लागू है। इस योजना के तहत, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (2013) के तहत 'प्राथमिकता' या AAY राशन कार्ड वाले सभी व्यक्तियों को...

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बीजेपी का चुनावी पोस्टर ‘श्रमिकों को पहुंचाया अपने घर’ बढ़ा रहा अजमेरिना और रामचंद्र महतो का दुःख

-न्यूजलॉन्ड्री, बिहार चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का एक पोस्टर जगह-जगह लगा हुआ है. पोस्टर पर ‘श्रमिकों को पहुंचाया अपने घर बिहार’ लिखा है और उसके बगल में प्रधानमंत्री मोदी की एक मुस्कुराती हुई तस्वीर है. पोस्टर के नीचले हिस्से में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी समेत बिहार बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं की तस्वीरें लगी हुई हैं. बीजेपी ने बिहार के वोटरों...

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भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन: 100 साल के सफ़र के पाँच पड़ावों ने बदला इतिहास

-बीबीसी,  भारत में ही नहीं यूरोप या किसी अन्य महाद्वीप में आज कम्युनिस्ट आंदोलन बहुत मजबूत नहीं रह गया है. लेकिन इस दौरान इस विचारधारा की राजनीति भारत में अपने 100 साल पूरे कर लिए हैं. अब तक के इस सफ़र के पांच सबसे अहम पड़ाव और भारतीय राजनीति में उनके मायनों पर एक नज़र: 1. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ताशकंद में स्थापना-कांग्रेस के साथ रिश्ते भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की शुरुआत 17 अक्टूबर, 1920...

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हाथरस: अन्याय के ख़िलाफ़ हर मोर्चे पर लड़ रहे ये लोग कौन हैं?

-सत्यहिंदी, “जो हाथरस जा रहे हैं, उनके चेहरे देखिए। ये वही हैं जो नागरिकता के नए कानून (सीएए) का विरोध कर रहे थे।” यह सावधान करने के अंदाज में बताया जा रहा है। मानो पेशेवर अपराधियों से सावधान किया जा रहा हो। कहा गया कि इन सबके पोस्टर हमने चौराहों पर लगवाए थे। ये वही हैं जो हाथरस में उस दलित लड़की के परिवार के साथ हमदर्दी जताने पहुँच रहे हैं।...

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