मैं यहां पांच कहानियां बता रहा हूं। ये कहानियां मैंने साल 2015 में देश के अलग-अलग हिस्सों से बटोरी हैं। गरम मैदानी इलाके में एक शिक्षक अपने छात्र के घर जाता है, उसे गोदी में उठाकर अपनी बाइक पर बिठाता है, और फिर दोनों साथ-साथ स्कूल आते हैं। जब छुट्टी होती है, तो फिर दोनों साथ-साथ वापस घर लौटते हैं। वह छात्र अशक्त है। वह बच्चा शेष बच्चों से अलग...
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गहरी समस्याओं के सतही समाधान - संजय कपूर
मैं पिछले 28 सालों से दिल्ली में रह रहा हूं और प्रदूषण का स्तर यहां हमेशा बेहद ज्यादा रहा है। 80 के दशक के अंत में जब मैं अपनी टू-व्हीलर से इस शहर के चक्कर लगाता था, तब भी यहां प्रदूषण का यह आलम था कि दिन खत्म होते-होते मेरे चेहरे पर कालिख की हल्की-सी परत जम जाया करती थी। तब भी हम यही पाते थे कि सरकारें इस समस्या...
More »प्रदूषण से जंग लड़ती एक राजधानी-- अनिल आजाद पांडेय
दिल्ली की तरह ही चीन की राजधानी बीजिंग भी प्रदूषण से परेशान है। चीन सरकार को पहली बार वायु गुणवत्ता पर रेड अलर्ट जारी करना पड़ा। जबकि दिल्ली हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद केजरीवाल सरकार ने निजी कारों के लिए सम-विषम फॉर्मूला अपनाने की योजना तैयार की है। शायद यह पहला मौका है, जब भारत में वायु प्रदूषण की समस्या को इतनी गंभीरता से लिया गया है। लेकिन लगभग...
More »साइकिल वाले वैज्ञानिक पर्यावरण बचाने वाले लोगों के लिए बने प्रेरणा
जबलपुर। वेतन इतना है कि हर साल नई कार या बाइक खरीद सकते हैं लेकिन आराम और रुतबे से ज्यादा चिंता इन्हें बिगड़ते पर्यावरण की है। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के चीफ एग्रोनॉमिस्ट डा. वी.के. शुक्ला साइकिल से ही विश्वविद्यालय जाते हैं। दिन भर के काम भी साइकिल से ही निपटाते हैं। इन्हें साइकिल वाले साइंटिस्ट के नाम से भी पहचाना जाने लगा है। 61 साल के फिट डा. शुक्ला को...
More »मेरी, आपकी और उनकी कार-- हरजिंदर
मध्य वर्ग के लिए कार सिर्फ कार नहीं होती। महानगरों से लेकर छोटे शहरों और कस्बों तक, वह एक ऐसे सपने का परिणाम भी होती है, जिसे लंबे समय तक संजोया जाता है। इस सपने को पूरा करने के लिए न सिर्फ जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ती है, बल्कि तरह-तरह के जुगाड़ भी बिठाने पड़ते हैं- मार्जिन मनी, कार लोन वगैरह। इस वर्ग के लिए यह सपना कितना महत्व रखता है,...
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